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अमरीका का आरोप : भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति चिंताजनक !

ईसाई मिशनरी जब खुलेआम हिन्दुआें का धर्मपरिर्वतन करते हैं, तब तो ये आयोग कोई ब्यौरा प्रस्तुत नहीं करता । परंतु अब जब हिन्दु जागृत होकर स्वधर्म में लौटने लगे हैं , तभी ये सब क्यों ? यदि हिन्दुआें ये लगे कि घर-वापसी से डरकर मिशनरी संस्थाआें ने ही ये ब्यौरा बनाया है, तो इस में गलत क्या है । – सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति

US की रिपोर्ट में दावा, ‘मोदी राज में बढ़े अल्पसंख्यकों पर हमले’, सरकार बोली- ‘उन्हें भारत की समझ नहीं’ (फ़ोटो-पीटीआई)

अमरिका की ओर से गठित यूनाईटेड स्टेट कमिशन ऑन इंटरनैशनल रिलिजस फ्रीडम अर्थात अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक समुदायों के विरुद्ध हिंसा की आलोचना की है । साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति को चिंताजनक बताया है ।

इस आयोग के ब्यौरे में कहा गया है कि वर्ष दो सहस्त्र चौदह में भारत में मोदी सरकार द्वारा सत्ता संभालने के पश्‍चात, धार्मिक अल्पसंख्यकों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों की ओर से हिंसक आक्रमणों, बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन और घर वापसी’ अभियानों का सामना करना पड़ा है ।

इस ब्यौरे पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है । विदेश विभाग के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इस ब्यौरे को निरस्त करते हुए कहा है कि, ‘यह ब्यौरा भारत, भारत के संविधान और समाज के बारे में सीमित जानकारी पर आधाारित है ।’ उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे ब्यौरों को महत्व नहीं देती ।

हम इस तरह की रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लेते: भारत

भारत ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट पर गुरुवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस तरह की रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लेता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हमारा ध्यान यूएससीआइआरएफ की एक रिपोर्ट की ओर आकर्षित किया गया है, जिसमें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर फैसला सुनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट भारत, उसके संविधान और उसके समाज के बारे में सीमित समझ पर आधारित लगती है। उन्होंने कहा कि हम इस तरह की रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लेते हैं।

स्त्रोत : जनसत्ता

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