-
आतंकवाद को कोर्इ धर्म नहीं होता एेसा कहनेवाले तथाकथित सेक्युलरवादी के मुंह पर तमाचा !
-
क्या यहीं है ‘विशिष्ट समुदाय’ का देशप्रेम ? – हिन्दूजागृति
मुंबई/नागपुर – गुरुवार सुबह सात बजे फांसी पर लटकाए गए याकूब मेमन को शाम में उसके परिवार वालों ने मुंबई में दफन कर दिया। १२ मार्च, १९९३ को मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब को मरीन लाइन्स के बड़ा कब्रिस्तान में पिता की कब्र के बगल में दफनाया गया। इससे पहले माहिम दरगाह में उसके जनाजे की नमाज अदा की गई। इसमें काफी लोग शामिल हुए। याकूब को दफन किए जाने के मद्देनजर पूरी मुंबई को हाई अलर्ट पर रखा गया था।
याकूब की बॉडी पूरी पुलिस सुरक्षा में ले जाई गई। २० से भी ज्यादा पीसीआर वैन साथ चल रही थी। मुंबई पुलिस ने ३५ हजार से भी ज्यादा जवानों को पूरी मुंबई में तैनात कर रखा था। इनमें रैपिड एक्शन, क्यूआरटी (२६/११) हमले के बाद बनी क्विक रिस्पॉन्स टीम) और सेंट्रल फोर्सेस के जवान भी शामिल थे। इससे पहले गुरुवार सुबह ७ बजे याकूब को फांसी के फंदे पर लटकाया गया।
पुलिस ने उसके परिवार वालों को हिदायत दी थी कि उसके जनाजे में केवल करीबी रिश्तेदार ही जाएंगे। पुलिस ने याकूब की फोटो खींचने की भी मनाही कर दी थी। लेकिन जब उसकी लाश नागपुर सेंट्रल जेल से माहिम लाई गई तो वहां हजारों लोग जमा हो गए थे। माहिम में ही बिस्मिल्ला बिल्डिंग में याकूब का भाई सुलेमान रहता है।
फांसी के वक्त ये थे मौजूद..
जेल में याकूब को फांसी देते समय कलेक्टर, जेल अधीक्षक, सीनियर जेलर, एसपी, जेल डीआईजी, एडीजी, मेडिकल अस्पताल के डीन व उनके दल समेत २० उच्च स्तरीय अधिकारी मौजूद थे। फांसी यार्ड में ६ लोग थे। उस वक्त जेल के अंदर की सारी व्यवस्था विशेष कमांडो और क्यूआरटी के कंधों पर थी।
स्त्रोत : भास्कर