‘सिंहस्थ पर्व – नासिक’ !
श्रद्धालुओंको दानधर्म पर विश्वास रहता है; किंतु किसे अर्पण करना है, यह उनके ध्यान में न आने के कारण ये पाखंडी इस बात का अपलाभ ले रहे हैं !
नासिक (महाराष्ट्र) : नागरिकोंद्वारा यह प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है कि यहां के रामकुंड पर अन्य राज्योंके सैकडों भिखारी साधुओंका वेश धारण कर श्रद्धालुओंसे धन की मांग कर उन्हें लूट रहे हैं। यह चित्र पवित्र कुंभपर्व तथा वास्तविक साधुओंका अनादर ही है।
देश-विदेश से सहस्रों साधु-संत तथा श्रद्धालु सिंहस्थ कुंभपर्व हेतु नासिक आ रहे हैं। इस कुंभमेले में पवित्र स्नान का अधिक महत्त्व होने के कारण श्रद्धालु यहां अधिक संख्या में आ रहे हैं; किंतु इस का अपलाभ उठाने हेतु अन्य राज्योंके सैकडों भिखारी यहां आ गए हैं। उन में से कोई दाढी तथा जटा बढाकर, साथ ही शरीर पर भगवे वस्त्र परिधान कर श्रद्धालुओंको फंसा रहे हैं।
श्रद्धालुओंको दानधर्म पर विश्वास रहता है; किंतु किसे अर्पण करना है, यह उनके ध्यान में न आने के कारण ये पाखंडी इस बात का अपलाभ ले रहे हैं।
ये पाखंडी साधु रामकुंड तथा परिसर के श्रद्धालुओंके पास धन मांगते हुए घूम रहे हैं। कुछ तो श्रद्धालुओंका पीछा ही नहीं छोडते। बाहर से आए श्रद्धालुओंके मन में यह भ्रांति हो सकती है कि सर्व साधु इसी प्रकार धन मांगते होंगे। साथ ही विदेश से आए लोगोंको भी अपनी वास्तविक संस्कृति तथा सभ्यता की जानकारी नहीं हो पाएगी। इन बातोंके कारण देश में ही नहीं, अपितु विदेश में भी भारत की, साथ ही इस कुंभपर्व की बडी अपकीर्ति तथा हानि हो रही है।
यह सर्व पुलिस की आंखोंके सामने ही हो रहा है; किंतु वे भी इस संदर्भ में चुपचाप केवल देखने की भूमिका में घूम रहे हैं।
अतः श्रद्धालुओंकी यह अपेक्षा है कि इन पाखंडियों पर प्रतिबंध लगाकर लक्षावधि श्रद्धालुओंको बिना अडचन कुंभस्नान करना आसान हो पाए, इस के लिए अखाडोंको ही प्रयास करने की आवश्यकता है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात