Menu Close

१९६५ का युद्ध : पाकिस्‍तानी सेना ने की थी भारत को कमजोर समझने की भूल !

नई दिल्ली – आजादी के बाद वर्ष १९६५ में भारत और पाकिस्‍तान के बीच जो कुछ भी हुआ वह, कई पीढ़‍ियों को आज भी याद है। दोनों देशों के बीच युद्ध ने दोनों देशों की दिशा और दशा बदलकर रख दी। इस युद्ध को २८ अगस्‍त को ५० वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। इस जंग के ५०वें वर्ष पूरे होने पर एक नजर डालिए जंग से जुड़ी कुछ एेतिहासिक बातों पर।

कच्‍छ सीमा की वजह से पाक था परेशान

भारत और पाकिस्‍तान के बीच 65 की जंग की आधारशिला शायद 1947 में आजादी के समय ही तैयार हो गई थी। उस समय कई मुद्दों के बीच ही कश्‍मीर भी दोनों देशों के बीच बड़ा मुद्दा था, जो इस युद्ध के विवाद की वजह था।

कश्‍मीर विवाद से अलग गुजरात में मौजूद कच्‍छ के रण की सीमा भी उस समय विवादित थी। इस सीमा पर पाक ने जनवरी 65 से गश्‍त शुरू की थी। इसके बाद यहां पर एक के बाद एक दोनों देशों के बीच आठ अप्रैल से पोस्‍ट्स को विवाद शुरू हो गया। उस समय के ब्रिटिश पीएम हैरॉल्‍ड विल्‍सन ने दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा की थी। इस विवाद को खत्म करने के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था। विवाद सन 68 में जाकर सुलझा लेकिन उससे पहले ही दोनों देशों के बीच जंग हो गई।

अति आत्‍मविश्‍वास का शिकार पाक

पाक को लगने लगा था कि उसके सेना प्रमुख जनरल अयूब खान ने जब कच्‍छ सीमा के विवाद को हल तक पहुंचाने में मदद की है तो फिर वह भारत से कुछ भी हासिल कर सकते हैं। कच्‍छ के बाद पाक ने कश्‍मीर को अपने कब्‍जे में लेने के उसने रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी। इस रणनीति की दम पर उसने भारतीय सेना को कश्‍मीर में घेरने की योजना बनाई। लेकिन उसकी एक नहीं चली और भारतीय सेना ने उसे करारा जवाब दिया।

जब पार की एलओसी

पांच अगस्त 1965 को भारत के 26,000 और पाकिस्तान 33,000 सैनिकों ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार किया था। कश्मीरी लोकल्स के अंदाज में यह सैनिक कश्मीर के कई इलाकों में पहुंच गए। 15 अगस्त को भारतीय सैनिकों ने उस समय तय की हुई सीजफायर लाइन को पार कर डाला।

जम्मू पर था कब्जा करने का सपना

पाकिस्तान ने कश्मीर के उरी और पुंछ जैसे इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया था तो वहीं भारत ने पीआके से करीब आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित हाजी पीर पास को अपने कब्जे में कर लिया था। इसके बाद पाकिस्तान ने एक सितंबर 1965 को ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम के नाम से एक खास मिशन शुरू किया। इसका मकसद जम्मू के अखनूर सेक्टर को अपने कब्जे में लेना था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना को खासा नुकसान पहुंचाया और कई सप्लाई रूट्स को क्षतिग्रस्त कर दिया। पाक को दिखाया आइना पाक की ओर से हो रहे हमलों के बाद भी भारतीय सेनाओं ने पाक को मुंहतोड़ जवाब दिया और हाजी पीर पास को अपने कब्‍जे में कर लिया। पाक की ओर से चलाया गया ऑपरेयान ग्रैंड स्लैम बुरी तरह से फेल हो गया था। अपने ऊपर हमले बढ़ते देखकर पाक ने कश्मीर के साथ ही पंजाब को निशाना बनाना शुरू किया लेकिन इस बार भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी। छह सितंबर को भारत की ओर से इस युद्ध की शुरुआत की आधिकारिक घोषणा की गई। यह युद्ध 23 सितंबर 1965 को खत्म हुआ था।

दुनिया में भारत का दबदबा

यह युद्ध भारत और पाक दोनों के लिए ही इंटेलीजेंस असफलता का सबसे बड़ा उदाहरण था। लेकिन इस युद्ध के बाद दुनिया और एशिया में भारत की एक नई पहचान बनी थी। उस समय टाइम मैगजीन ने लिखा था कि साफ हो गया है कि भारत अब दुनिया में नई एशियन ताकत बनकर उभर रहा है।

स्त्रोत : वन इण्डिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *