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आतंकियों का पनाहगार नूर-उल-हक को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार

भारत में आतंकियों का पनाहगार और उन्हें भारतीय पासपोर्ट व वीजा दिलाने में मदद करने वाले शख्स को केंद्रीय खुफिया एजेंसी की सूचना के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दबोच लिया।

आरोपी की पहचान शाइक नूर उर्फ नूर-उल-हक उर्फ नूर (६२) के रूप में हुई। बेहद गुप्त ऑपरेशन के बाद नूर को दिल्ली के जामिया नगर इलाके से दबोचा गया।

म्यांमार का नागरिक नूर पिछले ४० सालों से अवैध रूप से दिल्ली में रह रहा था। पुलिस ने उसके पास से अलग-अलग पहचान पर बने तीन भारतीय पासपोर्ट, पांच एटीएम, एक मोबाइल व दो डायरियां बरामद की हैं।

बटला हाउस के नजदीक जाकिर नगर से दबोचा

अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त रविंद्र यादव ने बताया कि २१ अगस्त को खुफिया एजेंसी से सूचना मिली कि १४ अगस्त को हैदराबाद, तेलंगाना से पकड़े गए छह कथित आतंकियों का सहयोगी नूर दिल्ली में छिपा है।

वह हुजी, आईएम और आरएसओ (रोहिंगया सालिडेरीटी ऑर्गनाइजेशन) जैसे प्रतिबंधित जेहादी संगठनों के सदस्यों के भारतीय पासपोर्ट व अन्य दस्तावेजों का इंतजाम कराता है। वह जामिया नगर के अबुल फजल एन्क्लेव में कहीं है।

इसके बाद पुलिस टीम में शामिल अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार, डीसीपी भीष्म सिंह, एसीपी कैलाश चंद्र, इंस्पेक्टर अतुल त्यागी ने २१ अगस्त को बेहद गुप्त ऑपरेशन में आरोपी को बटला हाउस के नजदीक जाकिर नगर से दबोच लिया।

तो इस तरह से पकड़ा गया ये स्लीपर सेल

१४ अगस्त को हैदराबाद में कमिश्नर की टास्क फोर्स ने पाकिस्तानी नागरिक मो. नासिर, बांग्लादेशी नागरिक फैजल महमूद, जयनल आबेदीन उर्फ मो. उस्मान, मसूद अली खान, सुहैल परवेज खान और जिया-उर-रहमान को दबोचा था।

मामला हैदराबाद स्थित सेंट्रल क्राइम स्टेशन में दर्ज किया गया। पूछताछ के दौरान पता चला कि उनकी भारत में अवैध रूप से एंट्री कराने में नूर-उल-हक का हाथ हैं। पकड़ में आया मसूद अली खान, नूर का साला है।

उन्हीं की सूचना पर खुफिया एजेंसी ने दिल्ली पुलिस को अलर्ट किया।

जानिए कौन है नूर-उल-हक

नूर आठ साल की उम्र में म्यांमार से परिवार के साथ बांग्लादेश आ गया था। १५ साल की उम्र में वह अवैध रूप से भारत में घुसा। शुरुआत के पांच साल बर्धवान, पश्चिम बंगाल में बिताने के बाद वह दिल्ली आ गया।

यहां वह सराय काले खां इलाके में रुका। शुरूआत में उसने टोपी बेचने का काम किया। लेकिन बाद में वह जेहादी आतंकी संगठनों के लिए काम करने लगा। अब वह अपनी पत्नी, एक बेटे व साले के साथ दिल्ली के जामिया नगर स्थित अबुल फजल एन्क्लेव में रह रहा था।

वह हवाला के पैसे के जरिये भारत में आने वाले कथित आंतकियों की एंट्री में मदद करता था। उसने ऐसे लिंक बना लिए थे, जिनके बूते वह इनके भारतीय पासपोर्ट व वीजा तक लगवा देता था।

पुलिस ने नूर के पास से उसके तीन फर्जी आईडी पर बने पासपोर्ट बरामद किए हैं। उसके पास से दो डायरियां मिली है, जिसमें विदेशी आकाओं की जानकारियां हैं।

स्त्रोत : अमर उजाला

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