कानपुर – सुन्नी उलेमा काउंसिल ने मुस्लिम समाज में सिर्फ ३ बार तलाक कहने भर से परिवारों के टूट जाने पर चिंता जताई है और मुस्लिम उलेमाओं को पत्र लिखकर इसके समाधान पर विचार करने की अपील की है।
काउंसिल ने इस संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, देवबंद और बरेलवी समुदाय के उलेमाओं को पत्र लिखा है और यह दावा किया है कि पाकिस्तान, मिस्र, सूडान, इराक, जार्डेन जैसे ७ मुस्लिम देशों में तलाक के लिए ३ महीने का वक्त दिया जाता है, फिर वह नियम भारत में लागू क्यों नहीं हो सकता।
ऑल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल के हाजी मोहम्मद सलीस इस संबंध में जागरुकता अभियान भी चला रहे हैं। उनका कहना है कि कानपुर में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां एक बार में ३ तलाक कह देने के कुछ दिन के बाद महिला और पुरुष दोनों शहर काजी के पास आते हैं और कहते हैं कि उन्होंने गुस्से में या झगडे के बाद अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था। अब वह साथ रहने चाहते हैं, लेकिन तब कुछ करना मुश्किल होता है ।
हाजी सलीस दावा करते है कि इस प्रकार तलाक लेने वाले ९० प्रतिशत पुरुष अपने फैसले पर दुखी होते है और अपनी पत्नी और बच्चों को फिर से पाना चाहते हैं, लेकिन हमारे मजहब ने ऐसी बंदिशे लगा रखी हैं कि उन दोनों की दोबारा शादी से पहले कई बडे मसले खडे हो जाते हैं।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स