रायपुर – नदी-तालाबों को दूषित करने की वजह से दिल्ली से छत्तीसगढ़ तक सरकारों ने भले ही प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा रखा हो, लेकिन इसकी हकीकत देखनी हो तो खारुन नदी से लगे कुम्हारी में देखिए। रायपुर और दुर्ग जिले की सीमा पर इस कस्बे के पास जीई रोड के किनारे दर्जनभर पीओपी कलाकार दो माह से डेरा डाले हुए हैं। वे २० हजार से ज्यादा पीओपी की बड़ी-छोटी मूर्तियां बना चुके हैं।
सडक पर खुलेआम
छत्तीसगढ सरकार ने पीओपी की मूर्तियों पर बैन लगा रखा है। लेकिन बैन सिर्फ फाइलों में ही है। जीई रोड के किनारे पीओपी की मूर्तियां खुलेआम बनाई और बेची जा रही हैं। इस सडक से बड़ी संख्या में छोटे-मंझौले प्रशासनिक तथा पुलिस अफसर रोजाना भिलाई से रायपुर आना-जाना करते हैं। इसके बावजूद न तो इसे कोई देख पाया, न ही दुर्ग जिला प्रशासन को यह नजर आया।
मिट्टी की मूर्तियों पर ५१ हजार का इनाम
राज्य पर्यावरण मंडल के अध्यक्ष एन बैजेंद्र कुमार ने मिट्टी की श्रेष्ठ मूर्तियां बनाने वाले को ५१ हजार रुपए का पुरस्कार देने का ऐलान किया है। उन्होंने यह घोषणा दैनिक भास्कर के अभियान के तहत की है।
सरकार ने दिए जब्त करने के आदेश
राज्य सरकार ने प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। प्रमुख सचिव ने राज्य के सभी कलेक्टरों व निगम कमिश्नरों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जारी गाइडलाइन को कठोरता से लागू करने के निर्देश दिए हैं। पीओपी की न मूर्तियां ही बननी चाहिए और न ही उसका विसर्जन होना चाहिए। इस तरह की मूर्तियां बनाई और बेची जाती हैं तो उसे जब्त किया जाए।
अब मिले हैं निर्देश
पर्यावरण विभाग ने पीओपी की मूर्तियां बनाने और बेचने पर रोक लगाई है। अफसरों को कार्रवाई के लिए कहा गया है। कुम्हारी में ऐसा हो रहा है तो एक्शन लेंगे।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर