नई दिल्ली – जब ब्रिटिश भारत आएं थे तो उस समय उन्होंने मच्छरों से निजात पाने के लिए उसके डंक से बचने के लिए अपने बंगलों के चारो तरफ तुलसी और नीम के पौधे लगावाए। नीम और तुलसी के इन पौधों को इसलिए लगवाया गया ताकि उनके बंगलों के आसपास मच्छरों का आतंक कम किया जा सके। हिंदू मान्यता के अनुसार तुलसी को बड़ा ही पवित्र माना गया है।
तुलसी महज एक शब्द नहीं है बल्कि यह मच्छरों और कई प्रकार के कीटाणुओं से भी बचाने में मदद करती है। हिन्दू पौराणिक कथाओं में तुलसी का बहुत महत्व है। इसे पवित्र तो माना ही गया है इसके साथ यह भी माना जाता है कि यह बुरी आत्माओं से हमारी रक्षा करती है। इसके अलावा आम तौर पर देखा गया है कि लगभग हर हिंदूओं के घर में तुलसी की पूजा भी की जाती है।
तुलसी का पौधा हमारे लिए धार्मिक एवं आध्यात्मिक दोनों महत्व रखता है। माना जाता है कि जिस घर में इसका वास होता है वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख-शांति एवं आर्थिक समृद्धता स्वयं आ जाती है। वातावारण में स्वच्छता एवं शुद्धता, प्रदूषण का शमन, घर परिवार में आरोग्य की जड़ें मजबूत करने जैसे अनेक लाभ हैं।
तुलसी के नियमित सेवन से सौभाग्यशालिता के साथ ही सोच में पवित्रता, मन में एकाग्रता आती है और क्रोध पर पूर्ण नियंत्रण हो जाता है। आलस्य दूर होकर शरीर में दिनभर स्फूर्ती बनी रहती है। यह गुणों की दृष्टि से संजीवनी बूटी है। तुलसी को प्रत्यक्ष देव मानने और मंदिरों एवं घरों में उसे लगाने, पूजा करने के पीछे यही कारण है कि यह सर्व दोष निवारक औषधि, सर्व सुलभ तथा सर्वोपयोगी है। धार्मिक धारणा है कि तुलसी की सेवापूजा व आराधना से व्यक्ति स्वस्थ एवं सुखी रहता है।
स्त्रोत : हरीभूमी