‘सिंहस्थ पर्व – नासिक !’
नासिक (महाराष्ट्र) : यहां के कुंभमेले की पार्श्वभूमि पर सनातन धर्म पर केवल प्रवचन कर अर्थकारण करना निरर्थक है। रामकुंड में केवल राजयोग स्नान करने की अपेक्षा हिन्दुओंको ‘श्रीराम’ का नामघोष करना आवश्यक है। ऐसा करने से वास्तव में लाभ होगा तथा युगप्रवर्तन भी होगा; परंतु दुर्भाग्यवश इस विषय में कोई विचार नहीं करता। केवल रामकुंड में स्नान किया जाता है, योगी सम्राट श्री श्री १००८ श्री ओमदासजी महाराज ने यहां पत्रकारोंसे वार्तालाप करते समय ऐसा दु:ख व्यक्त किया।
योगी सम्राट श्री श्री १००८ श्री ओमदासजी महाराज ने आगे कहा कि, समाज के तमोगुणी राक्षसी मानसिकता के लोगोंके कारण हिन्दू धर्म पर संकट आए हैं। इन्हें दूर करने हेतु देवपुरुष एवं संतपुरुषोंका सत्य पाठ महत्त्वपूर्ण है। इस सत्य के पाठ का स्पर्श होने के पश्चात तमोगुणी अनिष्ट युग का अंत होगा। तदुपरांत समाज में अपने-आप परिवर्तन होगा।
इस वर्ष कुंभमेले में सरकारद्वारा अच्छी सुविधाएं दी गई हैं; मात्र केंद्र शासनद्वारा प्राप्त २ सहस्र ३०० करोड रुपयोंका विनियोग व्यवस्थित करने हेतु शासन को उचित नियोजन करना चाहिए, अन्यथा तमोगुणी मानसिकता से एक दूसरे में अंतर के कारण इन पैसों का लाभ राज्य शासन को नहीं होगा, यह उनको ध्यान में रखना चाहिए।
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. विनय पानवलकर ने सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा ९ सितंबर को यहां के छत्तीसगढ मंडप में दोपहर १ बजे आयोजित संत बैठक का निमंत्रण दिया।
तब योगी सम्राट श्री श्री १००८ श्री ओमदासजी महाराज ने इस चर्चासत्र में उपस्थित रहने का आश्वासन दिया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात