कानपुर : लव जिहाद के एक मामले में महानगर मजिस्ट्रेट सुशील कुमार ने युवक को दोषी पाते हुए तीन वर्ष कैद और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। युवक ने अपना नाम बदलकर युवती से नजदीकियां बढ़ाई और फोटो के आधार पर ब्लैकमेल कर शादी का दबाव बनाया था। अब तक लव जिहाद के मामलों में जिला न्यायालय से हुई यह पहली सजा है।
चकेरी निवासिनी अर्पिता यादव (बदला हुआ नाम) प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। कोचिंग पढ़ने के लिए वह दो नंबर सिटी बस से आती जाती थी। २००७ में इस यात्रा के दौरान उसकी सिटी बस चालक से मित्रता हो गई। सिटी बस चालक ने अर्पिता को अपना नाम गुड्डू यादव बताया। सजातीय होने के चलते उनके बीच प्रेम संबंध बढ़ने लगे। इसी बीच २००९ में मुलाकात के दौरान अर्पिता ने गुड्डू का डीएल (ड्राइविंग लाइसेंस) देखा तो दंग रह गई। गुड्डू का वास्तविक नाम इखलाक खान था। इसके बाद उसने दूरियां बनाना शुरू कर दिया। इखलाक को इसका आभास हुआ तो उसने १० जुलाई २०१३ को अर्पिता को मिलने के लिए बड़ा चौराहा बुलाया और पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक दी। कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद उसे चक्कर आने लगे तो वह बाइक में बिठाकर एक मकान में ले गया जहां देवी मां की मूर्ति के सामने माला पहनाई, टीका लगाया और मिठाई खिलाई। इसकी वीडियो रिकार्डिग भी करा ली चूंकि अर्पिता पूरे होश में नहीं थी इसलिए विरोध नहीं कर सकी।
इसके बाद से इखलाक उसे ब्लैकमेल करने लगा। इसी बीच सितंबर २०१३ को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अर्पिता को नौकरी लगी तो पीछा करने, तेजाब से नहलाने की धमकियां देना शुरू कर दिया। डरी सहमी अर्पिता और उसके परिजनों ने २२ अगस्त २०१४ को चकेरी थाने में इखलाक के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। निचली अदालत, सत्र न्यायालय से जमानत खारिज होने के बाद हाईकोर्ट ने भी इखलाक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। ८ दिसंबर २०१४ को पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की तो महानगर मजिस्ट्रेट ने त्वरित सुनवाई कर नौ माह में निर्णय सुना दिया।
स्त्रोत : जागरण