मुंबई – बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधावर को महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि उसने अब तक कितने अवैध धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया है । कोर्ट ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के २००९ के आदेश के अनुपालन के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं, सभी अवैध धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति ए.एस ओक और न्यायामूर्ति वी.एल अचलिया की खंडपीठ ने इसी साल मार्च में उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें सरकार से कहा गया था कि वह २००९ के पहले बने धार्मिक स्थलों के वर्गीकरण के लिए एक जिलावार समन्वय समिति स्थापित करे।
उच्च न्यायालय ने अपने मार्च के आदेश में भी सरकार को २००९ के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बने सभी अवैध धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने को कहा था। एक एनजीओ ‘सोसाइटी फॉर फास्ट जस्टिस’ ने शहर में अवैध धार्मिक स्थालों के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की थी। उसी याचिका पर निर्देश दिए गए थे।
कोर्ट में सरकार ने बताया कि समन्वय समिति १५ जुलाई को गठित की गई थी। अदालत ने मामले में सुनवाई १६ सितंबर तक स्थगित करते हुए कहा, ‘हमने मार्च में आदेश जारी किया और समिति जुलाई में गठित की गई। समिति ने आज की तारीख तक क्या किया है ? उसकी कोई बैठक हुई ? हम चाहते हैं कि सरकार बैठक का ब्यौरा पेश करे। हम यह भी जानना चाहते हैं कि, अब तक कितने अवैध धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया गया ?’
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स