रामराज्य स्थापित करने के लिए संघर्ष की सिद्धता रखें – श्री. संभाजी साळुंखे
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : यहां के छत्रपति शिवाजी प्रतिमा के पास राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन संपन्न हुआ। उस समय बजरंग दल के जनपदाध्यक्ष श्री. संभाजी साळुंखे ने वक्तव्य दिया। वक्तव्य में उन्होंने यह मत व्यक्त किया कि ‘देश की कीर्ति बढे, इस लिए हम प्रयास कर रहे हैं। किंतु अन्य पंथियोंको यह देश अपना नहीं प्रतीत होता। उन्हें केवल पाकिस्तान से अधिक लगाव (प्रेम) है। याकूब के जनाने के लिए सहस्रों लोग इकट्ठे हुए, इस का अर्थ यह होता है कि उन लोगोंकी निष्ठा देश पर नहीं है। रामराज्य स्थापित करने के लिए संघर्ष की सिद्धता रखें।’
यदि देश की संपत्ति पर प्रथम अधिकार चाहिए, तो समान नागरी अधिनियम क्यों नहीं चाहिए ? – श्री. संभाजी भोकरे, उपजनपद प्रमुख, शिवसेना
वर्ष १९४७ में धर्म पर आधारित विभाजन किया गया। मुसलमानोंको पाकिस्तान प्राप्त हुआ; किंतु बहुसंख्य हिन्दू होते हुए भी हिन्दुस्थान नहीं हो सका। यदि इस देश की संपत्ति पर प्रथम अधिकार चाहिए, तो समान नागरी अधिनियम क्यों नहीं चाहिए ? श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करना, यह हमारा अधिकार है। यदि किसी ने कृत्रिम कुंड का निर्माण किया, तो उसे उद्ध्वस्त किया जाएगा। जब नदी में मैला एकत्रित करने से मछलियां मर जाती हैं, तब यह तथाकथित पर्यावरणवादी कहां जाते हैं ?
परिवार नियोजन केवल हिन्दू धर्मियोंके लिए क्यों किया जाता है ? – श्री. संजय वसे, हिन्दुस्थान नागरी एकता संगठन
देश में हिन्दू ही अल्पसंख्य हैं। श्री गणेशमूर्ति शाडु मिट्टी की ही चाहिए। धर्मशास्त्र को उद्ध्वस्त किया जा रहा है। तिब्बत के शांतिप्रिय होने से चीन ने उसपर अपना अधिकार प्रदर्शित किया। उनकी इस शांतप्रियता के कारण ही ऐसा हुआ। परिवार नियोजन हिन्दू धर्मियोंके लिए ही क्यों ? अन्य पंथियोंके लिए क्यों नहीं ?
उस समय हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन बुणगे, श्री. मधुकर नाजरे, डॉ. मानसिंह शिंदे तथा श्रीमती अनिता बुगणे ने अपने मनोगत व्यक्त किए। सूत्रसंचालन श्री. बाबासाहेब भोपळे ने किया।
उस समय हिन्दू एकता के सर्वश्री चंद्रकांत बराले, हिन्दूराव शेळके, शिवाजीराव ससे, नंदू सुतार, शिवसेना के सर्वश्री किशोर घाटगे, संभाजीराव भोकरे, रणरागिनी शाखा की श्रीमती सुरेखा काकडे, श्रीमती मृणाल गावडे, श्रीमती शरण्या पोयेकर के साथ ४० से अधिक हिन्दू उपस्थित थे।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात