पशुवधगृह, पेप्सी जैसे आस्थापनोंद्वारा किए जानेवाले पानी के दुरुपयोग को भी न्यायालय ने फटकार देनी चाहिए, एेसी हिन्दुआेंकी अपेक्षा है ! – हिन्दूजागृति
मुंबई – मुंबर्इ उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार पर गुस्सा जताया है। कोर्ट ने कहा कि नासिक कुंभ में राजयोगी (शाही) स्नान के लिए पानी छोड़ने का फैसला ‘अवैध’ है। कोर्ट ने सरकार से इस मामले में फिर से विचार करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि १८ सिंतबर तक छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कम करने पर सरकार विचार करे।
राज्य पहले ही नासिक गंगापुर डैम से दो हजार मिलियन क्यूबिक पानी छोड़ चुका है। ऐसा तीर्थयात्रियों के पवित्र स्नान के लिए किया गया है। १८ सिंतबर तक एक हजार मिलियन क्यूबिक पानी और छोड़ा जाएगा। ऐसा आखिरी डुबकी लेने से पहले होगा। इस कुंभ के दौरान तीन राजयोगी (शाही)) स्नान होंगे।
इस मामले में जस्टिस ए. एस ओका और वीएल अचलिया की बेंच ने एचएम देसारदा की याचिका को स्वीकार कर लिया है। देसारदा पुणे में इकॉनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। वह कुंभ के लिए पानी छोड़े जाने के इस लोकप्रिय फैसले को कोर्ट के माध्यम से रोक लगाना चाहते हैं। याचिकार्ता ने तर्क देते हुए कहा है कि, किसी धार्मिक सेवा के लिए पानी नहीं छोड़ा जाना चाहिए। पानी प्रदेश के लिए कीमती प्राकृतिक संसाधान है, जिसका इस्तेमाल सूखे से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने में किया जा सकता है।’ प्रोफेसर देसारदा ने कहा कि यह संसाधनों को लेकर अज्ञानता का मामला है।’
हिन्दू धर्म को बदनाम करने का यह षडयंत्र है – महंत सुधीरदास
धर्म को बदमान करने का ही यह षडयंत्र है । ३ पर्व मिलाकर केवल १ हजार एम्सीएफ्टी इतना ही पानी छोडा गया है । १ हजार एम्सीएफ्टी यानी १ टीएम्सी पानी । यहा १ कोटी श्रद्धालू आने वाले है इसिलिए यदि पानी नहीं छोडा तो जनता के स्वास्थ्य का प्रश्न निर्माण होगा तथा त्र्यंबकेश्वर को तो पानी छोडनेका प्रश्नही नहीं उठता । वहां अंदर से झरने है ।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स