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नासिक कुंभ : भारत साधु समाज की बैठक में उठी राम मंदिर निर्माण की मांग

त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) – ज्योति और शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में त्र्यंबकेश्वर में हुई भारत साधु समाज की बैठक में १३ प्रस्ताव पारित करते हुए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तुरंत प्रारंभ करने की मांग की। मठ एवं धार्मिक स्थानों के अधिग्रहण के खिलाफ संतों ने दूसरा प्रस्ताव पारित किया है। चेतावनी भी दी है की, मठाधीशों को घेरने की कोशिश केंद्र और राज्य सरकारें तुरंत बंद करें।

भारत साधु समाज का राष्ट्रीय अधिवेशन २८ संप्रदायों के प्रतिनिधि पंडाल में प्रारंभ हुआ। संतों ने रखे सभी १३ प्रस्तावों पर एक-एक कर विचार व्यक्त किए गए। इस बात पर गहरी चिंता जताई गई कि इतने वर्ष बीतने के बाद भी रामलला खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं।

राम मंदिर बनाने के लिए कोई कोशिश सरकार की ओर से नहीं की गई है। धार्मिक स्थानों के अधिग्रहण पर साधु-संतों ने नाराजगी जताई। वक्ताओं ने कहा कि ध्वस्त मंदिरों का निर्माण करने की इजाजत सरकारों द्वारा नहीं दी जा रही है। जबकि बिहार और उत्तराखंड में कई मंदिर इस समय ध्वस्त पड़े हैं।

गोहत्या, शराब एवं मांस की बिक्री पर लगे रोक

अन्य पारित प्रस्तावों में तीर्थ स्थलों पर शराब और मांस की बिक्री रोकने व गोवंश की हत्या बंद करने की मांग की। केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि वह हिंदुत्व की रक्षा के लिए कानून बनाए और पर्यावरण संरक्षण के कार्य में साधु-संतों का सहयोग लें।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि संत समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कुंभमेले पर संतों के अधिवेशन होते रहे हैं और अतीत में भी कई निर्णय लिए गए हैं। सरकारों का दायित्व है कि इन निर्णयों पर कार्ययोजना बनाकर रूपरेखा तैयार की जाए।

अधिवेशन में जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर पुण्यानंद गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मऋषि रामकृष्णानंद, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र पुरी, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीरंग महाराज, मंडल पीठाधीश्वर माधवाचार्य, महंत महेश्वर दास, गुरु प्रसाद, श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, स्वामी सागरानंद सरस्वती आदि ने भी विचार रखे। दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने सभी संतों का अभिनंदन किया। भारत साधु समाज के अध्यक्ष हरि नारायणानंद ने अधिवेशन का संचालन किया।

स्त्रोत : अमर उजाला

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