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पोर्न पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर महिला वकीलों की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट वुमन लॉयर्स एसोसिएशन ने कोर्ट से इंदौर के वकील कमलेश वासवानी द्वारा दायर उस याचिका में संस्था को पक्षकार बनाने की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि उनके पास बच्चों के मोबाइल के जरिए पोर्न वेबसाइट्स देखने के सबूत हैं। एसोसिएशन ने कोर्ट से सरकार को पोर्न वेबसाइट्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश देने की अपील की है।
गौरतलब है कि करीब एक महीने पहले सरकार ने ८५७ पोर्न वेबसाइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके बाद निजता के अधिकार को लेकर सोशल मीडिया अौर सिविल सोसाएटी में जबरदस्त बहस छिड़ गई थी और सरकार को अपना कदम वापस खींचना पड़ा था। सरकार ने करीब २५० चाइल्ड पोर्न वेबसाइट्स को छोड़कर सारी बेबसाइट को प्रतिबंध से अलग कर दिया था।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए पोर्न वेबसाइट्स को लेकर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था, जिसके बाद सरकार ने सारी पोर्न साइट्स को बंद कर दिया।

वासवानी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके पास बच्चों द्वारा पोर्न वेबसाइट देखने के सबूत हैं। उनका कहना है कि सारी पोर्न वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाया जाए, केवल चाइल्ड पोर्न वेबसाइट पर प्रतिबंध से समस्या का समाधान संभव नहीं है। याचिका के हवाले से एससीडब्ल्यूएलए ने कोर्ट से कहा है कि वो सरकार को अपने रुख पर पुनर्विचार करने का निर्देश दे।
एसोसिएशन ने कहा कि स्थिति इतनी खतरनाक है कि स्कूल के बच्चे (लड़के-लड़कियां दोनों) कैब और स्कूल बस चालक के माध्यम से पोर्न क्लिप तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। एससीडब्ल्यूएलए ने कोर्ट से देशभर के स्कूलों को अपनी बसों में जैमर लगाने का आदेश देने की अपील की। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई १३ अक्टूबर को होगी।

संदर्भ :जागरन

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