‘सिंहस्थ पर्व – नासिक !’
नासिक (महाराष्ट्र) : आज की पिढी को वैज्ञानिकता के साथ ही अध्यात्म की शिक्षा मिलना भी आवश्यक है। केवल हिन्दू धर्मियोंको ही नहीं, तो अन्य धर्मियोंको भी उन के धर्म की शिक्षा दी जानी चाहिए।
आज के युग में विज्ञानवादी दृष्टिकोण होना चाहिए; परंतु अध्यात्म को छोडे बिना !
मानवता के होनेपर ही शांति टिकेगी। हमारा धर्म मानवता सीखाता है। इस लिए धर्मशिक्षा से मानवता का अध्ययन होगा। बच्चोंपर बचपन से ही संस्कार करने चाहिए। ज्ञानेश्वरी ग्रंथ से पाठशालाओं में धर्मशिक्षा के पाठ पढाए जाने चाहिए।
ऐसा प्रतिपादन अनंत श्री विभूषित जगदगुरु रामानंदाचार्य श्री स्वामी नरेंद्राचार्यजी महाराजजी ने किया।
सिंहस्थ कुंभमेले के अवसरपर जगदगुरु रामानंदाचार्य श्री स्वामी नरेंद्राचार्यजी महाराजजी का नासिक में आगमन हुआ था। उस समय पाठशाला एवं महाविद्यालयों में गीता, रामायण के पाठ पढाने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है, इस विषय में पूछे गए प्रश्न पर जगदगुरु रामानंदाचार्य श्री स्वामी नरेंद्राचार्यजी महाराजजी ने मार्गदर्शन किया।
सिंहस्थ कुंभमेले के विषय में उन्होंने बताया कि प्रत्येक १२ वर्षों में होनेवाला यह कुंभमेला अर्थात अध्यात्म एवं मानवता का प्रतीक है। हमारा राष्ट्र हिन्दू राष्ट्र है। इस लिए हिन्दू धर्म यह मानवता है ऐसी घोषणा हमने की। कुंभमेले के अवसरपर लाखों लोग एकत्रित आते हैं। इस अवसरपर आध्यात्मिक विचारोंका आदान-प्रदान होता है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात