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नाबालिग लडकी की शादी पर मुस्लिमों पर होगा केस : गुजरात उच्च न्यायालय का निर्णय

अहमदाबाद – यदि मुस्लिम अपनी नाबालिग बेटियों की शादी कराते हैं तो उनके ऊपर बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA) के तहत मामला दर्ज कराया जाएगा। गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि इस कानून को मुस्लिम पर्सनल लॉ के ऊपर तरजीह मिलेगी। नाबालिग लडकियों की शादी को बढ़ावा देने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

गुजरात उच्च न्यायालय में एक मामले की सुनवाई के दौरान सवाल उठा कि, १८ साल के कम उम्र मुस्लिम लड़की की शादी की अनुमति देने अथवा उसे बढ़ावा देने वालों के खिलाफ क्या ऐक्शन लिया जा सकता है। यह मामला पेचीदा इसलिए था, क्योंकि लड़की की उम्र १५ साल होने के बाद शरिया कानून उसे अपनी शादी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार देता है।

जस्टिस जेपी पारदीवाला ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि जो भी कम उम्र में शादी को बढ़ावा देते हैं, उन पर बाल विवाह के राष्ट्रीय कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उच्च न्यायालय के सामने यह मामला गायकवाड़ हवेली पुलिस थाने से पहुंचा, जहां यूनुस शेख (२८) नामक एक व्यक्ति के खिलाफ १६ साल की एक लडकी के अपहरण और बलात्कार का आरोप था। लडकी यूनुस के पड़ोस में रहती थी।

इसके बाद यूनुस ने उस लडकी से पिछले साल दिसंबर में शादी कर ली थी। लड़की के पिता ने यूनुस के खिलाफ आईपीसी की धारा ३६३, ३६६, ३६६, ३७६ और पॉक्सो के तहत मामला दर्ज करवाया था और PCM अलग से लागू होता है। पर्सनल लॉ और आईपीसी के प्रावधानों पर गौर करते हुए जस्टिस पारदीवाला ने अपहरण और रेप के आरोप ड्रॉप कर दिए। हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि बाल विवाह के मामले में अगर कोई मुस्लिम भी शामिल है, तो भी PCMA प्रावधानों की अनदेखी नहीं की जा सकती और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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