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UK की MRS TERROR का दावा : मैं ही बनूंगी ISIS की पहली महिला फिदायीन

लंदन . ‘मिसेज टेरर’ की वजह से इन दिनों ब्रिटिश इंटेलिजेंस एजेंसियों की नींद उड़ी हुई है। एजेंसियों को इनपुट मिले हैं कि आतंकी संगठन आईएसआईएस ने सीरिया पर हो रहे हमले का बदला लेने के लिए ‘मिसेज टेरर’ को बड़े हमले की जिम्मेदारी सौंपी है।

47 साल की इस आतंकी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा है कि वह आईएसआईएस की पहली महिला फिदायीन हमलावर बनेगी। माना जा रहा है कि वह सीरिया में है और महिलाओं को फिदायीन हमलों की ट्रेनिंग दे रही है।

कौन है ये ‘मिसेज टेरर’ ?

– मिसेज टेरर का असली नाम सैली जोन्स है। वह ब्रिटेन के कैंट की रहने वाली है।
– सैली दो बच्चों की मां है। वह एक रॉक बैंड में भी रह चुकी है।
– बाद में उसने इस्लाम कबूल कर लिया।
– सैली जोन्स अब उम्म हुसैन और सकीना हुसैन के नाम से भी जानी जाती है।
– दो साल पहले तक वह ब्रिटेन में ही रहती थी।
– इसके बाद 10 साल के बेटे को लेकर सीरिया गई और आईएस में शामिल हो गई।

फिलहाल चर्चा में क्यों ?

– सोशल मीडिया पोस्ट में उसने कहा, “मैं जानती हूं कि मैं क्या कर रही हूं।” वह आगे लिखती है कि जन्नत नसीब हो, इसके लिए कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी।
– इसी पोस्ट में आगे लिखा, “मैं चेचन्या की पहली महिला सुसाइड बॉम्बर हावा बारायेव को श्रद्धांजलि देकर खुद को उड़ा लूंगी। मैं आईएस की पहली महिला सुसाइड बॉम्बर बनूंगी।”

हावा का जिक्र क्यों किया ?

साल 2000 में रूस के साथ चेचन विद्रोहियों की लड़ाई में हावा बारायेव पहली महिला सुसाइड बॉम्बर बनी थी। हावा ने खुद को बम से उड़ा लिया था। इस हमले में रूसी आर्मी के 27 सैनिक मारे गए थे।

कैसे पहुंची सीरिया ?

– सैली जोन्स पबों और क्लबों में रॉक म्यूजिक परफॉर्मेंस देने वाले 22 साल के जुनैद हसन के संपर्क में आई।
– हसन से मुलाकात के बाद सैली ने इस्लाम कबूला और नाम बदल लिया।
– 2013 में ही सैली ने जुनैद हसन से शादी की। जोन्स का झुकाव कट्टरपंथ की तरफ हुआ।
– जुनैद 2012 में ब्रिटेन के पूर्व पीएम टोनी ब्लेयर के सहयोगी से खुफिया जानकारी चुराने और एंटी टेररिस्ट हॉट लाइन को ब्लॉक करने के आरोप में जेल काट चुका है। वह बर्मिंघम का रहने वाला था और कम्प्यूटर हैकर था।
– हसन अमेरिका के ड्रोन हमले में मारा जा चुका है।
– शुरुआत में सैली ईसाइयों के विरोध में मैसेज पोस्ट करती थी। फिर अचानक सीरिया चली गई।
– सैली को आईएस ने वुमन सेल को एक्टिव करने का जिम्मा सौंपा है।

ब्रिटेन और फ्रांस क्यों हैं परेशान ?

इंटेलिजेंस ऐजेंसियों के मुताबिक, सीरिया के रक्का में महिलाओं को खास ट्रेनिंग दी जा रही है। पेरिस अटैक के बाद रूस और फ्रांस ने हवाई हमले तेज कर दिए हैं। इसके बाद से आईएस बैकफुट पर नजर आ रहा है। डर इस बात का है कि अब आईएस महिलाओं को ढाल बनाकर हमले कर सकता है।

स्त्रोत : भास्कर

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