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पुष्कर में पंचगव्य महासंमेलन का समापन : पंचगव्य विश्‍वविद्यालय की निर्मिती का संकल्प !

‘तृतीय पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन’

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(बार्इ आेरसे) पू. निरंजन वर्मा, सुर्ययोगी पू. उमाशंकरजी महाराज का सम्मान करते हुूए चित्रकुट धाम के महंत पू. पाठक जी महाराज

भविष्य में अधिकाधिक लोगों को पंचगव्य चिकित्सा की और आकर्षित कर गोमाता से कोई भी रोग असाध्य नहीं हैं, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के साथ पंचगव्य विश्‍वविद्यालय के निर्माण का संकल्प लेकर आज तीन दिवसीय पंचगव्य महासंमेलन का समापन किया गया । इस समापन सत्र में मंचपर चित्रकुट धाम के पू. पाठकजी महाराज, सुर्ययोगी पू. उमाशंकरजी, डॉ. जी मणी एवं गव्यसिद्धाचार्य पू. निरंजनभाई वर्मा उपस्थित थे । 4 दिसंंबर से चल रहे इस महासंमेलन के अंतीम दिवस में पंचगव्य चिकित्सा की शिक्षा पूर्ण करनेवालों को प्रमाणपत्र देकर समान्नित किया गया । साथ ही पूरे वर्ष में गोरक्षा, गोप्रसार एवं गोसंवर्धन इन क्षेत्रों में कार्य करनेवालों का सम्मानचिन्ह देकर सम्मान किया गया । इस समय पू. उमाशंकरजी के करकमलोंद्वारा अ‍ॅन्ड्राईड सनातन पंचांग 2016 का विमोचन भी किया गया ।

इस संमेलन में कल दोपहर के सत्र में अ‍ॅलोपॅथी की मर्यादाएं स्पष्ट करते हुए डॉ. जी. मणीजी ने कहां, अ‍ॅलापॅथी रोगपर तात्कालिक प्रभाव करती हैं, इस से आप रोगमुक्त नहीं हो सकते । इसलिए पंचगव्य चिकित्सा का प्रसार आवश्यक हैं । चेन्नई उच्च न्यायालय के अ‍ॅड् एम्. कुमरनजी ने पंचगव्य चिकित्सा और कानून इस विषयपर उद्बोधन करते हुए कहां की, आज अ‍ॅलोपॅथी को भी बहोत से रोगों पर काम करने का अधिकार नहीं हैं । ऐसे स्थिति में पंचगव्य उपचार उन रोगीयों के लिए लाभदायी हो सकते हैं । पंचगव्य चिकित्सकों ने मर्यादाआें को ध्यान में लेकर चिकित्सा की, तो उन्हे चिंता करने की आवश्यकता नही हैं । गव्यसिद्धाचार्य पू. निरंजनभाई वर्मा ने कहां, दुर्दैव से आज कानून में भारतभूमी में पंचगव्य चिकित्सा को नहीं, तो विदेशी अ‍ॅलोपॅथी को मुख्य स्थान हैं । आनेवाले दिनों में पंचगव्य चिकित्सकों का बडा संगठन बनाकर हमें पंचगव्य उपचार पद्धती को उचित वैधानिक स्थान प्राप्त करवाना होगा । इस लिए केरल, महाराष्ट्र और राजस्थान में पंचगव्य डॉक्टर्स असोसिएशनकी भी स्थापना की गयी हैं ।

पंचगव्य संमेलन की विशेषताएं

* गोमूत्र के प्रभाव की जांच करनेवाले यंत्र का कार्य सभी को दिखाया गया ।

* सिकलसेल, गँगरीन जैसे गंभीर रोगों पर पंचगव्य चिकित्सा का परिणाम वीडिओ फिल्मद्वारा सब के सामने रखा गया ।

* अगले वर्ष यह महासंमेलन गुजरात में करना तय किया गया ।


पुष्कर (राजस्थान) में ‘तृतीय पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन’ का आरंभ

सनातन के ‘पंचगव्य उत्पाद बनाएं’ इस हिंदी भाषिक ग्रंथ का प्रकाशन !

सनातन का ग्रंथ प्रकाशित करते हुए (बार्इं ओर से) पू. दादा गुरुजी एवं सूर्ययोगी पू. उमाकांत महाराज

पुष्कर (राजस्थान) : पुष्कर में, ४ दिसंबर से ‘तीन दिवसीय तृतीय पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन’ का आरंभ कै. राजीव दीक्षित की प्रतिमापूजन एवं दीपप्रज्वलन से हुआ।

इस अवसर पर व्यासपीठ पर सूर्ययोगी पू. उमाशंकरजी (पुडूचेरी) एवं गव्यसिद्धाचार्य श्री. निरंजनभाई वर्मा उपस्थित थे। इस सम्मेलन में पूरे देश से ५०० से अधिक गोप्रेमी सम्मिलित हुए हैं।

प्रथम दिन सनातन भारतीय संस्कृति संस्था निर्मित एवं हिन्दू जनजागृति समिति समर्थक ‘पंचगव्य उत्पाद बनाएं’, इस हिन्दी भाषिक ग्रंथ का प्रकाशन किया गया।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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