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राजौरी (जम्मू) से पकडा गया जिहादी कफेतुल्ला खान ही चला रहा था जासूसी का जाल !

राजौरी – राजौरी से पाक की गुप्तचर संस्था आइएसआइ के लिए जासूसी का पूरा जाल शिक्षा कर्मी कफेतुल्ला खान ही चला रहा था। वह अपने साथ लोगों को शामिल करता और उनके खाते में पैसे जमा करवाने के बाद अपने ईमेल से पाक में गुप्त जानकारी मेल करता था । किसी को कोई शक न हो इसके लिए आइएसआइ ने ‘राजकुमार१२० जीमेल’ की आइडी बना रखी थी।

इस आइडी पर कफेतुल्ला अपनी ईमेल ‘आइडी कफायत६४’ से मेल करता था। यह मेल सीधे आइएसआइ के अधिकारी फैसल के पास पहुंचता था और उसके बाद आगे की रणनीति तैयार करके आतंकियों को भारतीय क्षेत्र में भेजने से लेकर सेना पर हमले करवाने तक की साजिश रची जाती थी।

कफेतुल्ला ने जासूसी के जाल में पूर्व सैनिकों, अध्यापकों, सीमा सुरक्षा बल के जवानों को भी शामिल कर रखा था। इनमें इस समय एक जवान पश्चिम बंगाल में तैनात है और दूसरा जम्मू में। इन दोनों को भी जल्द दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। ये सभी लोग कफेतुल्ला के एक इशारे पर हर जानकारी देते थे।

कारगिल की जंग लड़ चुका है पूर्व हवलदार

शुक्रवार शाम थन्नामंडी से पकडा गया सेना का पूर्व हवलदार मनवर हुसैन कारगिल का युद्ध भी लड चुका है और पिछले एक वर्ष से पीडीपी के सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर कार्य कर रहा है। मनवर की अक्सर कफेतुल्ला से फोन पर बातचीत होती थी और वह उसे कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां देता था।

सीडी में डाटा कफेतुल्ला तक पहुंचाता था साबर

मुहम्मद साबर कफेतुल्ला द्वारा दिए गए दस्तावेजों के साथ अन्य डाटा सीडी में डालकर उसे पूरी तरह से तैयार करके वापस कफायत को देता था। कफायत इस सीडी के जरिए आइएसआइ को डाटा मेल करता था। साबर के खाते में कई बार कफायत ने पैसे भी जमा करवाए हैं।

शिक्षक साबर ने पूर्व हवलदार मनवर अहमद मीर से कफेतुल्ला को मिलवाया था। इसके बाद मीर ने कफेतुल्ला के साथ दो जवान, एक फरीद जो पश्चिम बंगाल में तैनात है और दूसरा जोगेंद्र जो जम्मू में तैनात है, को मिलवाया और उसके बाद यह दोनों भी कफेतुल्ला के लिए काम करने लगे।

स्त्रोत : जागरण

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