सीवान (बिहार) – चर्चित तेजाब हत्याकांड में दोषी पाए गए सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को न्यायालय ने आजन्म कारावास की शिक्षा सुनाई है। इससे पहले बुधवार को न्यायालय ने शहाबुद्दीन को दोषी पाते हुए शिक्षा तय कर दी थी लेकिन अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। पूर्व सांसद को हत्या, हत्या की नीयत से अपहरण, साक्ष्य छिपाने एवं आपराधिक षडयंत्र का दोषी करार दिया है।
यह है मामला..
जानकारी के अनुसार वर्ष १६ अगस्त २००४ को नगर व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो पुत्र गिरीश व सतीश का अपहरण शहर की दो भिन्न दुकानों से कर लिया गया। इस मामले में अज्ञात के विरुद्ध अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उस समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में बंद थे।
अभियोजन के अनुसार, अपहृत युवकों के बड़े भाई राजीव रौशन ने चश्मदीद गवाह के तौर पर बयान दिया कि छोटे भाईयों के साथ उसका भी अपहरण हुआ था तथा शहाबुद्दीन के कहने पर दोनों भाईयों की हत्या के पश्चात वह किसी तरह वहां से भाग निकला था।
चश्मदीद के बयान के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध हत्या एवं षड्यंत्र को लेकर आरोप गठित किए गए और मामले का पुन: विचारण शुरू हुआ। विशेष न्यायालय में दोबारा गवाही शुरू होने के पहले १६ जून २०१४ को चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की भी हत्या हो गई।
अपहरण व हत्या के समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में थे। जेल प्रशासन उनके बाहर निकलने से नकार रहा है, जबकि मारे गए चश्मदीद गवाह के अनुसार शहाबुद्दीन घटना के दिन जेल से बाहर निकले थे।
इन धाराओं में हुई शिक्षा
विशेष लोक अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने बताया कि न्यायालय ने सत्रवाद 158/10 के इस मामले में चार लोगों पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन, शेख असलम, शेख आरिफ उर्फ सोनू और राजकुमार साह को भारतीय दंड संख्या की धाराओं 302, 364 ए, 201 और 120 (बी) के मामलों में दोषी करार दिया। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि, विशेष न्यायालय ने इस मामले को ‘दुर्लभतम’ श्रेणी का माना, जिससे दोषियों को इन धाराओं में आजन्म कारावास की शिक्षा सुनाई गई है।
स्त्रोत : नर्इ दुनिया