Menu Close

महिलाओं के लिए नर्क से कम नहीं सऊदी, ४ गवाह हों तो ही माना जाता है बलात्कार

प्रतीकात्मक फोटो।
रियाद :सऊदी अरब में ९०० महिलाएं म्यूनिसिपल इलेक्शन के लिए कैंपेन कर रही हैं। सऊदी अरब के इतिहास में १२ दिसंबर को पहला मौका होगा जब हजारों महिलाएं पहली बार चुनाव में वोट का इस्तेमाल करेंगी। इस मौके पर हम आपको उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे करना अब भी महिलाओं के लिए यहां बैन है।
चाहे महिलाओं के कार चलाने की बात हो या उनके खुलकर जीने की बात, सऊदी अरब के कडे नियम और बैन ऐसा नहीं होने देते। इसीलिए कई रिपोर्टों में सऊदी अरब को महिलाओं के लिए ‘नर्क’ बताया गया है।

बहुत देरी से मिला महिलाओं को वोट डालने का हक

ब्रिटेन में जहां १९१८ में तो न्यूजीलैंड में १८९३ में ही महिलाओं को चुनाव में भाग लेने का हक दे दिया गया था। इसके करीब एक शताब्दी बाद साल २०११ में किंग अब्दुल्ला ने महिलाओं को कुछ हक देने का फैसला किया था, जिसे अब लागू किया जा रहा है। हालांकि, सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रशासन ने इस बार दो ऐसी महिलाओं की उम्मीदवारी खारिज कर दी है जो अपने एक्टिविज्म के लिए चर्चित रही हैं। इसलिए देश वाकई महिलाओं को हक देना चाह रहा है, इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय संशय की नजर से ही देख रहा है।

१३ लाख पुरुष तो सिर्फ १.३ लाख महिलाएं

दरअसल, इतने साल बाद मिले हक के बावजूद, करीब ७००० कुल उम्मीदमारों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ९०० तक ही सीमित रही है। दूसरी ओर, १३ लाख पुरुष वोटर से काफी पीछे सिर्फ १ लाख ३१ हजार महिलाओं ने ही वोटर लिस्ट में नाम जुडवाया है। महिलाओं के बीच जागरुकता अभियान नहीं चलाने के लिए सऊदी अरब की आलोचना भी हो रही है।

यह चुनाव काउंसिल की आधी सीटों (२८४) के लिए हो रहा है, बाकी आधी सीटों पर किंग के प्रतिनिधि होते हैं। इसलिए चुनाव के बावजूद सऊदी अरब की असल सत्ता राजा के हाथ में ही रहती है। वैसे भी म्यूनिसिपल काउंसिल सिर्फ साफ-सफाई जैसे छोटे काम ही संभालती है।

बिना ४ चश्मदीद गवाह के रेप के अपराधी को सजा नहीं दिला सकतीं

सऊदी में लडकियों के बालिग होने से पहले ही शादी करा दी जाती है। यहां पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने को रेप नहीं माना जाता है। वहीं, बलात्कार के लिए किसी आरोपी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती, जब तक उसके चार चश्मदीद गवाह न हों ।

पब्लिक में गैर मर्दों से नहीं मिल सकतीं महिलाएं

सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति और आजादी को इस सबसे बडे उदाहरण से समझा जा सकता है कि पब्लिक प्लेस पर यहां की महिलाएं गैर मर्दों से नहीं मिल सकती। महिलाएं सिर्फ अपने परिवार के लोगों के साथ ही पब्लिक प्लेस पर दिखाई देनी चाहिए। महिलाएं जब भी पब्लिक में जाएंगी, उनके साथ घर का एक पुरुष भी जरूर होना चाहिए। इस नियम को सख्ती से लागू भी किया जाता है, नहीं मानने पर महिलाओं को सजा दी जाती है, जिसमें पिटाई भी शामिल है। सऊदी में कई घरों में महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग दरवाजे भी बनाए गए हैं। ये स्कूल, यूनिवर्सिटी और वर्कप्लेस में भी लागू होता है।

महिलाओं के गाडी चलाने पर पाबंदी

सऊदी में महिलाओं के गाडी चलाने पर प्रतिबंध है। इसके पीछे ये सोच बताई जाती है कि बिना जरूरत महिलाएं घर से बाहर ना निकलें, अपनी मर्जी से वो कहीं बाहर ना चलीं जाएं, इस मौके का फायदा उठाकर वो पुरुषों के संपर्क में ना रहे। नियम तोडने के आरोप में कई महिलाओं को सजा भी सुनाई जा चुकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं अपने निजी कम्पाउंड में गाडी चला सकती हैं।

लडकियों को शादी करने की नहीं मिलती आजादी

सऊदी अरब में कम उम्र की लडकियों की शादी अधिक उम्र के पुरुषों से (७० – ८० साल तक के) कराने का चलन है। रियाद स्थित इमाम मोहम्मद बिन सऊद इस्लामिक यूनिवर्सिटी के प्रो. ग्रांड मुफ्ती शेख अब्दुल अजीज अल शेख का मानना है कि लडकियां १० से १२ साल की उम्र में शादी के लिए तैयार हो जाती हैं। उनके मुताबिक २५ साल की उम्र में शादी करने वाली लडकियां सबसे बडी गलती करती हैं।

खुद बैंक एकाउंट भी नहीं खोल सकतीं

जहां काफी संख्या में महिलाओं ने सऊदी अरब में खुद का बिजनेस शुरू कर दिया है और नौकरी भी कर रही हैं, वे खुद अपना बैंक एकाउंट नहीं खोल सकतीं। बैंक एकाउंट खोलने के लिए पुरुष पेरेंट्स की सहमति अनिवार्य होती है।

पुरुष पेरेंट्स के बिना नहीं जा सकती विदेश पढ़ने

सऊदी अरब के हायर एजुकेशन कानून के मुताबिक, सरकारी स्कॉलरशिप पर विदेश में पढ़ाई करने के दौरान लडकी के साथ पुरुष अभिभावक का होना ज़रूरी है। सऊदी ऑफिशियल पॉलिसी के मुताबिक, वहां लडकियों को केवल इसलिए पढ़ाया जाता है, ताकि वे पारंपरिक इस्लामिक ढंग से अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें।

अकेले सफर करने पर पाबंदी

३८ साल की एक महिला रेहम रियाद में रहती है। वह तब तक प्लेन में बैठ नहीं सकती, जब तक उसके पास अपने बेटे द्वारा लिखित अनुमति नहीं होगी। यहां कानूनी रूप से बालिग होने के बावजूद महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है। सऊदी में हर महिला का पुरुष अभिभावक होना चाहिए। इसमें उसके पिता से लेकर अंकल, भाई, बेटे होते हैं। किसी भी सऊदी महिला को पढ़ाई, काम, यात्रा, शादी और यहां तक डॉक्टरी जांच के लिए भी घर के पुरुष से लिखित अनुमति लेनी पडती है। इतना ही नहीं, महिलाएं बिना किसी पुरुष अभिभावक के केस तक फाइल नहीं कर सकती।
 स्त्रोत : दैनिक भास्कर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *