नई दिल्ली – हिंदू चेरिटेबल विभाग ने उसके अधीन आने वाले मंदिरों को निर्देश दिया है कि वो मंदिर की परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार नियम बनाएं और आंगुतकों व श्रद्धालुओं को उसी अनुसार कपड़े पहनकर आने और मंदिर के बनाए नियमों का पालन करने का निर्देश दें।
तमिलनाडु सरकार ने उसके अधीन आने वाले मंदिरों के लिए तमिलनाडु मंदिर प्रवेश अधिनियम बनाया है। अधिनियम की धारा ४ के अनुसार कोई भी व्यक्ति बगैर स्नान और मंदिर की परंपराओं के अनुसार कपड़े नहीं पहनता है तो वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति चप्पल पहनकर भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है।
आपको बता दें कि हिंदू चेरिटेबल विभाग ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरई बेंच के दिशानिर्देश पर पुरूषों, महिलाओं और बच्चों के मंदिरों में प्रवेश के लिए ड्रेस कोड बनाया है, जो १ जनवरी २०१६ से लागू हो जाएगा।
न्यायधीश एस वैद्यनाथन ने अपने निर्णय में कहा है कि १ जनवरी से मंदिरों में प्रवेश के लिए पुरूषों को धोती या पजामा तथा कुर्ता या फिर पैंट शर्ट पहनना होगा वहीं औरतों को साड़ी या ऐसे कपड़े पहनने होंगे जो उनके पूरे शरीर को ढक सके। बच्चे कोई भी कपड़े पहन सकते हैं जो उनके शरीर को पूरी तरह ढके। वहीं जिन मंदिरों में पुरूषों को उपर कुछ भी पहनना वर्जित है वो नियम जारी रहेंगे।
सर्कुलर में मंदिरों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालू नियमानुसार ही मंदिरों में प्रवेश करें। तमिलनाडु के कई मंदिरों ने नए नियमों की इस सूची को अपने मंदिरों में होडिग्स और बैनरों के जरिए लगा भी दिया है।
स्त्रोत : जागरण