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कानून एवं सुरक्षा को उजागरी से चुनौती देनेवाले मुफ्ती हारूण नदवी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें ! – हिन्दू जनजागृति समिति

muftiHnadvi
समाजवादी पक्ष के मुफ्ती हारूण नदवी

जलगांव (महाराष्ट्र) : रिलाएंस पेट्रोल पंप के पास यातायात के नियम तोड कर दुपहिये से यात्रा करनेवाले धर्मांध समाज के तीन युवकोंपर कार्रवाई न होने हेतु यातायात शाखा के सहायक फौजदार शशिकांत डोले को समाजवादी पक्ष के जिलाध्यक्ष मुफ्ती हारूण नदवीद्वारा धमकी देने की घटना उजागर हुई है !

इस घटना में नदवीद्वारा ऐसी धमकी दी गई है कि, यदि धर्मांध युवकोंपर कार्रवाई की गई, तो देख लेंगे !

यह घटना सीधे कानून एवं सुरक्षा को चुनौती देने का प्रकरण है !

यातायात पुलिस को धमकी देने के १० दिनों पश्चात अपराध प्रविष्ट किया जाता है, यह भी आश्‍चर्यजनक है ! इसलिए केवल धर्मांध समाज के होने से समाजबंधुओंका समर्थन करनेवाले नदवी पर औद्योगिक वसाहत पुलिस थाने में केवल अपराध प्रविष्ट करना पर्याप्त नहीं, अपितु उन पर तत्काल एवं कठोर कार्रवाई होना अपेक्षित है।

इस संदर्भ में हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन शीघ्र ही पुलिस अधीक्षक को निवेदन देंगे। हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुनील घनवट ने प्रसिद्धिपत्रकद्वारा ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि, इस प्रकरण में हम किसी व्यक्ति के विरुद्ध नहीं है। तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे समाज में अनुचित कृत्य करनेवालोंका समर्थन करने का गलत संदेश जाएगा एवं वैसी ही प्रथा आरंभ होगी !

पत्रक में कहा गया है कि, इस अवसर पर यातायात शाखा के सहायक फौजदार शशिकांत डोले को धमकी देते हुए मुफ्ती हारूण नदवी ने कहा कि, ‘मैं आपको चेतावनी देता हूं कि किसी ने भी मेरा नाम बता कर परिचय दिया, तो उस पर कार्रवाई रोक दें। यदि धर्मांध युवकोंपर कार्रवाई की गई, तो किसी को भी नहीं छोडेंगे !’

उन्होंने उजागरी से धमकी देते हुए कहा कि, सभी को बताएं कि, धर्मांध युवकोंको नियंत्रण में न लें, उन पर कोई कार्यवाही न करें तथा उन्हें कष्ट न दें। यह प्रकरण ऐसा है कि, एक तो यातायात के नियम तोडनेवालोंका समर्थन करें एवं उनके धर्मबंधु निर्धन होने से उन पर कार्रवाई ही न करें !

क्या, इसका अर्थ ऐसा नहीं कि, धर्मांधोको यातायात के नियम तोडने की अनुमति है ?

एक ओर देश में कानून सभी के लिए समान है, ऐसा कहना एवं दूसरी ओर निर्धन धर्मांध कह कर कार्रवाई न करने की धमकी देना, ये कैसा न्याय है ?

यदि ऐसी ही घटना हिन्दुत्वनिष्ठ युवकोंके विषय में हुई होती एवं किसी हिन्दू नेताद्वारा उसका समर्थन किया गया होता, तो क्या पुलिस प्रशासन ने उसे छूट दी होती ? क्या ऐसा कहना चाहिए कि, ‘धर्मनिरपेक्ष’ कहलानेवाले भारत देश में कानून धर्म के अनुसार परिवर्तित होता है ?

इसलिए पत्रक में आगे कहा गया है कि, पुलिस प्रशासन को उजागरी से चुनौती देनेवाले नदवी पर कठोर कार्रवाई करने की हम मांग करते हैं !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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