काशी विश्वनाथ और श्रीकृष्ण जन्मभूमि को पुन: प्राप्त करने के लिए
फास्ट ट्रैक ट्रायल्स की मांग करें!
काशी विश्वनाथ और श्रीकृष्ण जन्मभूमि को पुन: प्राप्त करने के लिए
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काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी) और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर (मथुरा) का पुनरुद्धार मात्र भौतिक संरचनाओं को पुनर्स्थापित करने का प्रयास नहीं है—यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आत्मा को पुनर्जीवित करने का आह्वान है। ये मंदिर, सनातन धर्म की शाश्वत विरासत के प्रतीक हैं, जो आक्रमणकारियों के सदियों के हमलों के बावजूद हिंदुओं की अटूट श्रद्धा और धैर्य के प्रमाण के रूप में खडे हैं।
इन पवित्र स्थलों को पुनः प्राप्त करना हमारे पूर्वजों के बलिदान का सम्मान करना, अपनी विरासत को संरक्षित रखना और अपनी समृद्ध परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि, हिंदू मंदिरों से जुड़ी सच्चाई सबके सामने होने के बावजूद ये मामले अब तक अनसुलझे हैं। ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले ये स्थल लंबी न्यायालयीन लड़ाइयों के बावजूद अभी भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान है – इसलिए काशी और मथुरा मामलों के निर्णय में विलंब अन्याय के समान है। आइए, हम सभी मिलकर काशी ज्ञानवापी और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामलों में तत्काल सुनवाई की मांग करें।
मंदिरों को पुनः प्राप्त करने के लिए कानूनी लडाई
पूज्य हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन प्रमुख वकील और धार्मिक कार्यकर्ता हैं, जो हिंदू समुदाय की ओर से काशी विश्वनाथ मंदिर (ज्ञानवापी मस्जिद) और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर (शाही ईदगाह मस्जिद) को पुनः प्राप्त करने के कानूनी प्रयासों में सबसे आगे हैं। इन मामलों में उन्होंने वर्षों समर्पित किए हैं, इन्हें वे केवल कानूनी लड़ाई नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक और धार्मिक कर्तव्य के रूप में देखते हैं। उन्होंने लगातार भगवान शिव और श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिरों के ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों को उजागर किया है। इन स्थलों को उनके मूल धार्मिक उद्देश्य को पुनर्स्थापित करने के महत्व पर जोर दिया है।
काशी विश्वनाथ – ज्ञानवापी मामला
याचिका प्रविष्ट
पूज्य हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थल पर काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग करते हुए हिंदू भक्तों की ओर से याचिका प्रविष्ट की।
कानूनी मांगें
१. मस्जिद के नीचे दबे मंदिर के अवशेष प्राप्त करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा स्थल का सर्वेक्षण और उत्खनन।
२. मंदिर के मूल स्थान पर हिंदुओं को पूजा करने का कानूनी अधिकार।
हालिया घटनाक्रम
१. 2022 – ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण में मस्जिद के वज़ुखाने में एक “शिवलिंग” का अस्तित्व पाया गया।
२. 31 जनवरी, 2024 – न्यायालय ने हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर ‘व्यासजी के तहखाने’ में प्रार्थना करने की अनुमति दी।
मथुरा – श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला
याचिका प्रविष्ट
पूज्य हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के अवैध ढांचे को हटाकर भूमि के कब्जे और मंदिर को हिंदू भक्तों को पुनः समर्पित करने के लिए 18 मुकदमे दायर किए।
कानूनी मांगें
१. 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद समिति के बीच हुए उस समझौते को रद्द करना, जिसके तहत मस्जिद को विवादित स्थल पर बने रहने की अनुमति दी गई थी।
२. एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा स्थल की जांच करना, ताकि वहां हिंदू मंदिर के साक्ष्य प्राप्त किए जा सकें।
हालिया घटनाक्रम
१. मई 2022 – मथुरा जिला न्यायालय ने 1968 के समझौते को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार की और मामले को आगे बढाने की अनुमति दी।
२. 1 अगस्त 2024 – उच्च न्यायालय ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 18 मामलों की स्वीकार्यता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी; और निर्णय दिया कि, मस्जिद के धार्मिक स्वरूप को निर्धारित करना आवश्यक है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
मंदिरों का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर भक्ति, समर्पण और हिंदू सभ्यता की अदम्य भावना का प्रतीक है। यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना हुआ है, जो सालाना लाखों भक्तों को आकर्षित करता है, और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में हिंदू मान्यता में एक विशेष स्थान रखता है। मंदिर की उत्पत्ति अति प्राचीन काल से हुई है, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण और काशी खंड जैसे हिंदू ग्रंथों में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि, भगवान शिव ने स्वयं वाराणसी को अपने निवास स्थान के रूप में स्थापित किया, जिससे मंदिर और शहर शैव धर्म और सनातन धार्मिक परंपरा का मु्ख्य केंद्र बन गया।
कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, क्योंकि यह भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म स्थल है। जन्मभूमि स्थल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्रीकृष्ण का जन्म कंस, उनके मामा, के महल में एक कारागार के कक्ष में हुआ था। इस स्थल को कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का गर्भगृह के रूप में चिह्नित किया गया है। मथुरा हिंदू धर्म के सप्त पुरी (सात पवित्र नगरों) में से एक है।
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