स्वयंकी चुकें ढूंढने के लिए यह करें !
दैनिक व्यवहार करते समय यदि हम ‘मुझे मेरी चूकें ढूंढनी ही हैं’ ऐसा दृढ निश्चय कर सतर्क रहेंगे, तो हमें अपनी अधिकतर चूकें ध्यान में आ जाती हैं । Read more »
दैनिक व्यवहार करते समय यदि हम ‘मुझे मेरी चूकें ढूंढनी ही हैं’ ऐसा दृढ निश्चय कर सतर्क रहेंगे, तो हमें अपनी अधिकतर चूकें ध्यान में आ जाती हैं । Read more »
दिनभर की चूकें लिखने के लिए एक बही में स्वभावदोष-निर्मूलन सारणी बनाएं । इस लेख में देखते यह सरणी कैसे बनाए और कैसे लिखे। Read more »
इस पद्धति के अनुसार स्वसूचना देने से बालक को अनुचित विचार, भावना एवं अनुचित क्रिया का भान होता है तथा वह उसे नियन्त्रित कर पाता है । Read more »
अनेक प्रसंगों में बालक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करता है अथवा उसके मन में प्रतिक्रिया उभरती है । एक-दो मिनट से अल्प समय के प्रसंग में अनुचित प्रतिक्रिया के स्थान पर उचित प्रतिक्रिया उत्पन्न हो, इसके लिए इस स्वसूचना पद्धति का उपयोग करते हैं । Read more »
‘क्या परीक्षामें भली-भांति उत्तर लिख पाऊंगा’, ऐसी चिन्ता होना, मौखिक परीक्षा, भेंटवार्ता (इंटरव्यू), वाद-विवाद प्रतियोगिता इत्यादि प्रसंगों से भय लगना आदि प्रसंगों में अनुचित प्रतिक्रिया से बचने के लिए इस पद्धति का उपयोग करते हैं । Read more »
स्वभावदोष दूर करने के लिए मन को जो स्वसूचनाएं देनी पडती हैं वो बनाते समय ध्यान में लेने योग्य सूत्र देखेंगे। Read more »
अपने स्वभावदोष दूर करने के लिए एक बार में ३ स्वसूचना देनी होती हैं । इस प्रक्रिया को ‘सूचनासत्र’ कहते हैं । स्वसूचना एकाग्रता से एवं परिणामकारक ढंग से दे पाना, यह एक प्रकार से अभ्यास ही है । सूचनासत्र का स्वरूप इस लेख में स्पष्ट किया है । Read more »