देशभक्त हरनामसिंह
देश के लिए क्रांतिकार्य करनेवाले अनेक क्रांतिकारियोंमें से एक है, देशभक्त हरनामसिंह ! उनकी पुण्यतिथि के निमित्त उनका अल्पपरिचय… Read more »
देश के लिए क्रांतिकार्य करनेवाले अनेक क्रांतिकारियोंमें से एक है, देशभक्त हरनामसिंह ! उनकी पुण्यतिथि के निमित्त उनका अल्पपरिचय… Read more »
क्रांतिवीर गणेश दामोदर तथा बाबाराव सावरकर स्वा. विनायक दामोदर सावरकरजी के बडे भाई । उन्होंने ही स्वा. सावरकर को पितृतुल्य प्रेम देकर, बहुत कष्ट भोगकर छोटे से बडा किया एवं क्रांतिकार्य में उनके बराबर सहभागी हुए । Read more »
चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्यभारत के झाबुआ तहसील के भाबरा गांव में हुआ था । उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानीदेवी था । बनारस में संस्कृत का अध्ययन करते समय १४ वर्ष की आयु में उन्होंने कानूनभंग आंदोलन में योगदान दिया था । Read more »
हमारे समाज का पुनरुत्थान करने हेतु विशाल जनसमुदाय को एकत्रित लाने के लिए आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार का कठोर प्रयास था । इसमें उनका किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था । Read more »
४ सितंबर, १८२५ को दादाभाई नौरोजी का जन्म मुंबई में हुआ था। उनकी शिक्षा यहां के ‘नेटिव एजुकेशन सोसाइटी’ नामक संस्था की पाठशाला में हुई ।अपनी शिक्षा पूर्ण करनेपर वे एलफिन्स्टन महाविद्यालय में गणित के अध्यापक के रूप में काम संभाला । Read more »
सरदार भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त एवं भगवतीचरण वोरा आदि स्वतंत्रता सेनानी ‘हिंदुस्थान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन’ संघटना के सभासद थे । Read more »
बाजीप्रभु देशपांडे स्वयं पराक्रमी योद्धा थे; साथ ही वे त्यागी, स्वामीनिष्ठ, तत्त्वनिष्ठ एवं किसी भी प्रलोभन के वश में आनेवाले नहीं थे । पचास वर्ष की आयु में बिना थके हुए, दिनके २०-२२ घंटा काम करनेवाले बाजी का संपूर्ण मावल प्रांत में प्रभाव था । Read more »
गुरु गोविंद सिंहजी सदा-सर्वदा ऐसे विचार करनेवाले थे । उनकी माता का नाम गुजरी एवं पिताजी का नाम गुरु तेगबहादुर सिंहजी था । गुरु गोविंद सिंहजी ने जीवनभर क्षात्रधर्म साधना की । Read more »
अंग्रेजों के विरोध में लडने हेतु नेताजी सुभाषचंद्र बोसद्वारा ४० सहस्र भारतीय स्त्री-पुरुषों के सहयोग से ‘आजाद हिंद सेना’की स्थापना की गई थी । ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ ऐसा आवाहन किया गया था । Read more »
गुजराती थी मातृभाषा हो बोलनेवाले शिरीषने पदयात्रा में घोषणाएं देना आरंभ किया, ‘नहीं नमशे, नहीं नमशे’, ‘निशाण भूमी भारतनु’ । भारत माता का जयघोष करते हुए यह यात्रा गांव से जा रही थे । Read more »