राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज आधुनिक युग के महान संत थे । उनके गुरु का नाम अडकोजी महाराज था । उनका विशेष रूप से संचार विदर्भ में था । Read more »
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज आधुनिक युग के महान संत थे । उनके गुरु का नाम अडकोजी महाराज था । उनका विशेष रूप से संचार विदर्भ में था । Read more »
जोधपुर के राठौर रतनसिंह जी की एकमात्र पुत्री मीराबाई का जन्म सोलहवीं शताब्दी में हुआ था । मीराबाईजी के बालमन में श्रीकृष्ण की ही छवि बसी थी । Read more »
अनंत कोटि ब्रह्मांडनायक महाराजाधिराज योगिराज परब्रह्म सच्चिदानंद भक्तरक्षक शेगाव (महाराष्ट्र)-निवासी समर्थ सद्गुरु प.पू. श्री गजानन महाराजजी के जीवन चरित्र का कालखंड बत्तिस वर्ष का है । इस काल में महाराजजी ने अनेक चमत्कार किए । Read more »
श्री मच्छिंद्रनाथ तीर्थयात्रा करते-करते अनेक दुःखी, पीडितों को सुख का मार्ग दिखाने लगे, उनके दुःख दूर करने लगे । उनके नाम का जयघोष होने लगा । वे चंद्रगिरी गए । Read more »
बंगाल में गंगा नदी के तटपर नवद्वीप गांव में नीम के वृक्ष की पर्णकुटी में वर्ष १४८६ फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को जगन्नाथ एवं शुचीदेवी को पुत्र हुआ । उसका नाम विश्वंभर रखा गया ।
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तेरेडोकी गांवमें गोरा कुम्हार नामक एक विठ्ठलभक्त था । कुम्हारका काम करते समय भी वह निरंतर पांडुरंगके भजनमें तल्लीन रहता था । पांडुरंगके नामजपमें वह सदा मग्न होता था । एक बार उसकी पत्नी अपने इकलौते छोटे बच्चेको आंगनमें रखकर पानी भरने गई । Read more »
भारत वर्ष के प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास में श्रीमत् आद्य शंकराचार्यजी एक महान ज्ञानी और तत्वज्ञ व्यक्तित्व के रूप में ज्ञात हैं । Read more »
संत जनाबाईने अपने अभंगोंमें अपना नाम ‘दासी जनी’, ‘नामदेवकी दासी’ तथा ‘जनी नामयाची’ ऐसा लिखा है । वह संत नामदेवजीके घर दासीके रूपमें कैसे आई ? Read more »
एक बार संत ज्ञानेश्वर और संत नामदेव दोनों एक साथ तीर्थयात्रापर निकले । वाराणसी, गया, प्रयाग घूमते-फिरते वे औंढ्या नागनाथ पहुंचे । Read more »