ध्येय पर पूरा ध्यान रखने से ही सफलता प्राप्त होती है !
गुरु द्रोणाचार्यजी कौरवों एवं पाण्डवों को धनुर्विद्या अर्थात धनुष्य बाण चलाने की विद्या सिखा रहे थे । इस विद्या में उनके शिष्य धीरे-धीरे पारंगत अर्थात निपुण हो रहे थे, तब गुरु द्रोणाचार्य के मन में विचार आया कि मेरी शिक्षा को इन्होने कितना ग्रहण किया है ये जानने के लिए क्यों न इन कौरव और पांडवों की परीक्षा ली जाए । Read more »