संतद्वारा जिज्ञासु को उसकी क्षमतानुसार साधना बताना

एक साधु के पास एक जिज्ञासु युवक आया और उसने साधु से पूछा, ‘‘क्या मुक्ति प्राप्त करने के लिए वन में जाना चाहिए ?’’ Read more »

एकता का सामर्थ्य

एक स्थानपर धार्मिक कार्यक्रम था । कार्यक्रम समाप्त होनेपर पुरूषमंडली बाहर निकली । महिलाएं भी बाहर निकल रहीं थी । उसी समय दो गोरे आरक्षक मद्य पीकर महिलाओंके व्दार के सामने आकर खडे हो गए । Read more »

प्रल्हाद कथा

यह कथा श्री वसिष्ठजी द्वारा श्रीरामजी को योगवसिष्ठ में विद्यमान उपशम प्रकरण में कथन की गई है । इससे यह स्पष्ट होता है कि उपासना के योग से ईश्वर की कृपा प्राप्त कर ज्ञान संपन्नता आती है और आत्मज्ञान प्राप्त होने हेतु स्वयं के प्रयासों एवं विचारों की आवश्यकता है । Read more »

सत्संग की महिमा रखने हेतु जड भरत का वैयक्तिक अपमान की ओर ध्यान न देना

‘एक बार राजा रहूगण पालकी में बैठकर कपिल मुनि के आश्रम जा
रहे थे । पालकी का एक सेवक अस्वस्थ हो गया । Read more »

अक्लमंद हंस

एक विशाल पेड था । उसपर सहस्र हंस रहते थे । उनमें एक बुद्धिमान और दूरदर्शी हंस था । उन्हें सभी आदरपूर्वक ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे । पेड के तने पर जड के निकट नीचे लिपटी हुई एक बेल को देखकर ताऊने कहा ‘‘देखो, इस बेल को नष्ट कर दो । Read more »

संदेह

एक विद्यार्थी था । वह शंकाएं अधिक पूछता था । उसमें भी अनावश्यक शंका ही अधिक पूछता था । वह सदा गुरु को कहता था,‘‘मुझे ईश्वर का दर्शन शीघ्र करवाइए । Read more »

साधना से संचित और इच्छा का भी नाश होता है

विद्यारण्य स्वामीजी की आर्थिक परिस्थिति विकट (खराब) थी; इसलिए धनप्राप्ति के लिए उन्होंने गायत्री मंत्र के २४ पुनश्चरण किये; परंतु धनप्राप्ति नहीं हुई । Read more »

निष्काम भक्ति से प्रसन्न होकर ईश्वरद्वारा माया की अडचनें दूर करना

‘सुदामा श्रीकृष्ण से मिलनेके लिए गए । सुदामा की पत्नी ने सुदामा को श्रीकृष्ण से संपत्ति मांगने के लिए कहा था । Read more »