भक्‍त अर्जुन

महाभारत काल में महाभारत के भयंकर युद्ध से पहले योगेश्‍वर भगवान श्रीकृष्‍णजी ने कौरव और पांडवों को वचन दिया था कि ‘युद्ध से पहले जो याचक बनकर मेरे पास आएगा, वह जो मांगेगा, उसे मैं अवश्‍य दूंगा ।’ Read more »

मूषक अर्थात चूहा श्री गणेशजी का वाहन कैसे बना ?

श्रीगणेशजी का गजमुखासुर दैत्‍य से भयंकर युद्ध हुआ । युद्ध में श्रीगणेशजी का एक दांत टूट गया । तब क्रोधित होकर श्रीगणेशजी ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर प्रहार किया । तब वह दैत्‍य घबराकर मूषक अर्थात चूहा बनकर भागने लगा; परंतु गणेशजी ने उसे पकड लिया । मृत्‍यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा । तब श्रीगणेशजी ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया । Read more »

कालिया मर्दन !

आप सबको कालिया मर्दन की कहानी पता है न ? नागपंचमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्‍णजी ने कालिया मर्दन किया था और कालिया के पूरे परिवार को रमणिक द्वीप भेज दिया था । आज हम कालिया मर्दन की कहानी सुनेंगे । Read more »

दैवी गंगा नदी !

सगर के प्रपौत्र (नाती) राजा अंशुमन ने सगरपुत्रों की मृत्‍यु का कारण खोजा एवं उनके उद्धार का मार्ग पूछा । कपिलमुनि ने अंशुमन से कहा, ‘‘गंगाजी को स्‍वर्ग से भूतल पर लाना होगा । सगरपुत्रों की अस्‍थियों पर जब गंगाजल प्रवाहित होगा, तभी उनका उद्धार होगा !’’ मुनिवर के बताए अनुसार गंगा को पृथ्‍वी पर लाने हेतु अंशुमन ने तप आरंभ किया ।’ Read more »

भस्‍मासुर का अंत !

प्राचीन काल में भस्‍मासुर नाम का एक राक्षस था । उसको पूरे विश्‍व पर राज करना था । अपनी यह मनोकामना पूर्ण होने हेतु उसने भगवान शिवजी की कठोर तपस्‍या की । उसकी अनेक वर्षों की दिन-रात की कठोर तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर भगवान भोलेनाथ भस्‍मासुर के सामने प्रकट हो गए । Read more »

दानवीर भामाशाह !

एक समय ऐसा आया जब अकबर से लडते हुए महाराणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्‍याग करना पडा । इस समय महाराणा के सम्‍मुख सबसे बडी समस्‍या धन की थी । भामाशाह को जब महाराणा प्रताप के इन कष्टों का पता चला, तो उन्‍हें बहुत दुःख हुआ । उनके पास स्‍वयं का तथा पुरखों का कमाया हुआ अपार धन था । उन्‍होंने यह सब महाराणा के चरणों में अर्पित कर दिया । Read more »

भक्‍त की पीडा स्‍वयंपर लेनेवाले भगवान श्रीकृष्‍ण !

गुजरात राज्‍य में श्री द्वारकापुरी के समीप डाकोर नाम का एक गांव है, वहां श्री रामदासजी नाम के भगवान श्रीकृष्‍ण के एक भक्‍त रहते थे । वह प्रत्‍येक एकादशी को द्वारका जाकर भगवान श्रीकृष्‍णजी के मंदिर में जागरण और कीर्तन करते थे । Read more »

नाम का आश्रय !

गोपी दूध दही बेचने चली । बीच में यमुना जी थी । गोपी को संत की बात का स्‍मरण हुआ, संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर से पार लगाने वाला है । गोपी ने मन ही मन सोचा कि जिस भगवान का नाम भवसागर से पार लगा सकता है तो क्‍या उन्‍ही भगवान का नाम मुझे इस साधारण सी नदी से पार नहीं लगा सकता ? Read more »

दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम !

एक गांव में एक सेठजी रहते थे । वह श्रीकृष्‍णजी के परम भक्‍त थे । प्रतिदिन सेठजी गांव के श्रीकृष्‍णजी के मंदिर में जाते थे । जब वह घर से निकलते थे, उस समय वह मन में विचार करते थे कि वह आज श्रीकृष्‍ण भगवान की पूजा अवश्‍य करेंगे और उन्‍हें भोग लगाएंगे । परंतु वह श्रीकृष्‍णजी को भोग नहीं लगा पाते थे… Read more »

सत्‍य बोलने का महत्त्व !

एक दिन एक चोर संत नामदेव महाराज के पास गया और उसने कहा, ‘महाराज, मुझे चोरी करने की बहुत बुरी आदत है और इस चोरी करने की आदत से मैं मुक्‍त होना चाहता हूं । इसके लिए मैं क्‍या करूं कृपया आप मेरा मार्गदर्शन कीजिए ।’ नामदेव महाराज ने कहा, ‘तुम किसी भी परिस्‍थिति में सदैव सत्‍य ही बोलना ।’ Read more »