नामजाप की महिमा
विवेकानंदजी के गुरुदेव संत रामकृष्ण परमहंस अपने भक्तगणों से वार्तालाप करते समय अपने परमप्रिय भक्तों का उल्लेख करते थे जो, एकदम सरल, सीधे-सादे दिखनेवाले, समाज में रहकर एवं अपने गृहस्थ जीवन में रहकर साधना करनेवाले थे । Read more »
विवेकानंदजी के गुरुदेव संत रामकृष्ण परमहंस अपने भक्तगणों से वार्तालाप करते समय अपने परमप्रिय भक्तों का उल्लेख करते थे जो, एकदम सरल, सीधे-सादे दिखनेवाले, समाज में रहकर एवं अपने गृहस्थ जीवन में रहकर साधना करनेवाले थे । Read more »
परमेश्वर की प्राप्ति के लिए हमारे अंदर तीव्र लगन का होना आवश्यक है । केवल लगन से ही परमेश्वर की प्राप्ति संभव है । आईए, परम पूजनीय रामकृष्ण परमहंस की एक कथा से तीव्र लगन का उदाहरण सुनें । Read more »
बच्चो, राष्ट्रगुरु समर्थ रामदासस्वामी ने दिया ‘जय जय रघुवीर समर्थ’ यह मंत्रजाप आप जानते ही होंगे । कठोर साधना के कारण लडकपन में ही उन्हें प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए । इस कथा से उनकी र्इश्वरप्राप्ती की लगन देखेंगे । Read more »
ऋदि्ध-सिदि्ध एवं संपत्ति का मन से त्याग करनेपर ही भगवद्प्राप्ति होती है यह बात साबित करनेवाली संत तुकाराम महाराजची की प्रस्तुत कथा… Read more »
‘संत तुकाराम महाराज ने देहू गांव के निकट के एक गन्ने के खेत की रखवालदारी की थी; इसलिए उस किसान ने उन्हें पच्चीस-तीस गन्ने बांधकर दिए । Read more »
गुरुनानकजी सिक्ख पंथ के संस्थापक हैं । बचपन से ही वे र्इश्वर की भक्ति करते थे । मन से आर्तता से भगवान को प्रार्थना कर गुरुनानकजी ने दुसरों के खेतों की कैसे रक्षा की यह इस कथा से हम देखेंगे । Read more »
संत नरसी मेहता की भगवान श्रीकृष्ण पर दृढ श्रद्धा होने के कारण राजाने उनकी ली हुर्इ कठीन परीक्षा में वे कैसे सफल हुए यह इस कहानी से हम देखेंगे । Read more »
पैठण में एकनाथ महाराज के एक शिष्य रहते थे । उन्हें सभी प्राणियों में परमेश्वर दिखाई देते थे । वे प्रत्येक को साष्टांग नमस्कार करते थे । इसलिए लोग उनकी खिल्ली उडाते हुए उन्हें ‘दंडवत स्वामी’ कहते थे । Read more »
भोजराजा की राजसभा में कालिदास नामक एक महान विद्वान कवि थे । स्वयं राजा भोज भी अनेक निर्णय लेने में कवि कालिदास के मत सुनते थे । कालिदास सभी विद्वानों का आदर करते थे । कवि कालिदासजी की ऐसी ही कुशाग्र बुदि्धमत्ता प्रतीत करनेवाली यह कहानी है । Read more »
मंगलवेढा के संत चोखामेला की विट्ठलभक्ति अपार थी । वे निरंतर विट्ठल के नामस्मरण में ही मग्न रहते थे । प्रत्यक्ष भगवान विठ्ठल ने उनके घर आकर भोजन किया इसे देखकर लोगों को उनकी महानता का प्रत्यय आया । Read more »