लाल बहादुर शास्त्री

अपने गरीब माता-पितापर बोझ न बनकर उनके पैसे बचाने के लिए प्रतिदिन गंगा नदी तैरकर पाठशाला में जानेवाला असामान्य साहसी बालक लाल बहादुर शास्त्री ! Read more »

मेरे पास भयंकर शस्त्र है । – स्वातंत्र्यवीर सावरकर

‘एक समय लंदन में गुप्तचरों ने स्वा. सावरकरजी को जांच-पडताल के लिए रोका और कहा, ‘‘महाशय, क्षमा कीजिए, हमें आपपर शंका है । Read more »

सत्संग की महिमा रखने हेतु जड भरत का वैयक्तिक अपमान की ओर ध्यान न देना

‘एक बार राजा रहूगण पालकी में बैठकर कपिल मुनि के आश्रम जा
रहे थे । पालकी का एक सेवक अस्वस्थ हो गया । Read more »

अक्लमंद हंस

एक विशाल पेड था । उसपर सहस्र हंस रहते थे । उनमें एक बुद्धिमान और दूरदर्शी हंस था । उन्हें सभी आदरपूर्वक ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे । पेड के तने पर जड के निकट नीचे लिपटी हुई एक बेल को देखकर ताऊने कहा ‘‘देखो, इस बेल को नष्ट कर दो । Read more »

श्री गणेशदास

एक सत्पुरुष काशीक्षेत्र में रहते थे जिन्होंने पुराण एवं उपनिषदों का पूर्ण अध्ययन किया था । उनका नाम ‘गणेशदास’ था । जैसे महाराष्ट्र में रामदास वैसे ही काशीक्षेत्र में गणेशदास ! Read more »

श्रीगणेश एकदंत कैसे हुए ?

कार्तवीर्य का वध कर कृतार्थ हुए भगवान परशुरामजी कैलासपर गए । वहां उनकी भेंट सभी गणों से तथा गणाधीश गणपति से भी हुई । शंकरजी के दर्शन की इच्छा श्रीपरशुराम के मन में थी; परंतु उस समय शिव-पार्वतीजी विश्राम कर रहे थे ।
Read more »

संदेह

एक विद्यार्थी था । वह शंकाएं अधिक पूछता था । उसमें भी अनावश्यक शंका ही अधिक पूछता था । वह सदा गुरु को कहता था,‘‘मुझे ईश्वर का दर्शन शीघ्र करवाइए । Read more »

स्वामी दयानंदजी का दृष्टांत

स्वामी दयानंदजी के विषयमें एक सुंदर कथा कहते हैं । स्वामी दयानंदजी एक बार ऋषिकेश गए थे । उस कालखंड में अनेक सिद्ध पुरुष ऋषिकेश में जाकर वास्तव्य किया करते थे । आज भी ऐसा कहा जाता है कि, हिमालय के परिसर में अनेक सिद्ध पुरुष वास कर रहे हैं । Read more »

अहंकार

शंकराचार्य हिमालय की ओर यात्रा कर रहे थे । तब उनके साथ उनके सभी शिष्य थे । सामने अलकनंदा नदी का विस्तीर्ण पात्र था । Read more »

ईश्वर का नामजप करनेवालों को काल का भय नहीं होता

संत कबीरजी एक बार बाजार से जा रहे थे, मार्ग में उनको एक व्यापारी की पत्नी चक्की पिसती दिखाई दी । चक्की को देख के कबीरजी को रोना आ गया । Read more »