साधना से संचित और इच्छा का भी नाश होता है
विद्यारण्य स्वामीजी की आर्थिक परिस्थिति विकट (खराब) थी; इसलिए धनप्राप्ति के लिए उन्होंने गायत्री मंत्र के २४ पुनश्चरण किये; परंतु धनप्राप्ति नहीं हुई । Read more »
विद्यारण्य स्वामीजी की आर्थिक परिस्थिति विकट (खराब) थी; इसलिए धनप्राप्ति के लिए उन्होंने गायत्री मंत्र के २४ पुनश्चरण किये; परंतु धनप्राप्ति नहीं हुई । Read more »
‘सुदामा श्रीकृष्ण से मिलनेके लिए गए । सुदामा की पत्नी ने सुदामा को श्रीकृष्ण से संपत्ति मांगने के लिए कहा था । Read more »
राजा उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो भार्याएं थीं । राजा उत्तानपाद के सुनीति से ध्रुव तथा सुरुचि से उत्तम नामक पुत्र हुए । Read more »
एक दिन मां सीता अपनी मांग में सिंदूर भर रही थीं । यह देखकर हनुमानजी ने उनसे पूछा, ‘सीतामैय्या, आप प्रतिदिन यह सिंदूर क्यों लगाती हैं ? Read more »
वृत्रासुर का नाश करने के लिए दधीचि ऋषि ने अपने प्राण सहजता से दे दिए । इससे ध्यान में आता है कि ऋषि मुनि कितने महान थे। Read more »
कोलकता के सिमोलिया पथपर एक बडासा घर था । वहां बाबू विश्वनाथदत्त नामक एक प्रसिद्ध अधिवक्ता (वकील) रहते थे । Read more »
जयपुर में स्वामी विवेकानंद पाणिनी का संस्कृत व्याकरण सीखने हेतु एक प्रसिद्ध संस्कृत पंडित के यहां जाते थे । Read more »
बालमित्रों, भगवान शंकराचार्य भारतवर्ष की एक दिव्य विभूति हैं । उनकी कुशाग्र बुद्धि को दर्शानेवाली एक घटना है । सात वर्ष की आयु में ही शंकर के प्रकांड पांडित्य तथा ज्ञानसामथ्र्य की कीर्ति सर्व ओर पैâलने लगी । Read more »
प्राचीन समय में धौम्य नामक मुनि का एक आश्रम था । उस आश्रम में उनके अनेक शिष्य विद्याभ्यास के लिए रहते थे । उनमें आरुणी नामक एक शिष्य था । एक समय धुंआधार वर्षा होने लगी । Read more »
बालमित्रो, अक्कलकोट के स्वामी समर्थजी भगवान दत्तात्रेय के तीसरे अवतार हैं । उन्होंने अनेक भक्तोंपर कृपा की है । उनमें से एक हैं, आज की कथा के गरीब ब्राह्मण.. Read more »