साधना से संचित और इच्छा का भी नाश होता है

विद्यारण्य स्वामीजी की आर्थिक परिस्थिति विकट (खराब) थी; इसलिए धनप्राप्ति के लिए उन्होंने गायत्री मंत्र के २४ पुनश्चरण किये; परंतु धनप्राप्ति नहीं हुई । Read more »

निष्काम भक्ति से प्रसन्न होकर ईश्वरद्वारा माया की अडचनें दूर करना

‘सुदामा श्रीकृष्ण से मिलनेके लिए गए । सुदामा की पत्नी ने सुदामा को श्रीकृष्ण से संपत्ति मांगने के लिए कहा था । Read more »

असुरों के विनाश हेतु सर्वस्व का त्याग करनेवाले ऋषि दधीचि !

वृत्रासुर का नाश करने के लिए दधीचि ऋषि ने अपने प्राण सहजता से दे दिए । इससे ध्यान में आता है कि ऋषि मुनि कितने महान थे। Read more »

बचपन से ही अलौकिक तत्त्व के स्वामी (आद्यगुरु) शंकराचार्य

बालमित्रों, भगवान शंकराचार्य भारतवर्ष की एक दिव्य विभूति हैं । उनकी कुशाग्र बुद्धि को दर्शानेवाली एक घटना है । सात वर्ष की आयु में ही शंकर के प्रकांड पांडित्य तथा ज्ञानसामथ्र्य की कीर्ति सर्व ओर पैâलने लगी । Read more »

श्रीगुरु की आज्ञापालन हेतु स्वयं को झोंक देनेवाला शिष्य आरुणी !

प्राचीन समय में धौम्य नामक मुनि का एक आश्रम था । उस आश्रम में उनके अनेक शिष्य विद्याभ्यास के लिए रहते थे । उनमें आरुणी नामक एक शिष्य था । एक समय धुंआधार वर्षा होने लगी । Read more »

ब्राह्मण की दरिद्रता गुरुकृपा से गई !

बालमित्रो, अक्कलकोट के स्वामी समर्थजी भगवान दत्तात्रेय के तीसरे अवतार हैं । उन्होंने अनेक भक्तोंपर कृपा की है । उनमें से एक हैं, आज की कथा के गरीब ब्राह्मण.. Read more »