शिवाजी महाराज की गुरुभेंट

समर्थ रामदास स्वामीजी की ख्याति सुननेपर छ.शिवाजी महाराज को उनके दर्शन की लालसा निर्माण हुई । उनसे मिलने के लिए वे कोंढवळ को गए । वहां भेट होगी इस आशा से सायंकालतक रुके, तब भी महाराज की स्वामीजी से भेंट नहीं हुई । Read more »

गणपति का मारक रूप

बच्चों, आज हम अपने प्यारे गणपति बाप्पा की कथा से परिचित होंगे । हम सब गणपतिजी के तारक रूप से परिचित हैं, जिसमें गणपति का एक हाथ आर्शीवाद देनेवाला एवं करूणामय दृष्टि है । Read more »

भक्तवत्सल पांडुरंग

बालमित्रो, पांडुरंग के परमभक्त संत तुकाराम निरंतर पांडुरंग के नाम में तल्लीन रहते थे । उनके घर में उनके पिताजी का श्राद्ध था । श्राद्ध का अर्थ है मृत हुए व्यक्ति की पुण्यतिथि । Read more »

महान विठ्ठलभक्त संत सेनाजी

बच्चों, महाराष्ट्रकी संत शृंखलामें मध्यप्रदेश प्रांतके संत सेना महाराजजी भक्तिमेंअद्वितीय स्थान रखते हैं । उनका जन्म मध्यप्रदेशके बांधवगड संस्थानमें हुआ । वेपंढरपुरके एक महान वारकरी संत थे । Read more »

संतों की सर्वज्ञता

बच्चों, संत ईश्वर का सगुण रूप होते हैं । इसलिए ईश्वर के सभी गुण उनमें दिखाई देते हैं । संतोंपर श्रद्धा होनेवाले भक्तों को इसकी प्रचीती अनेक बार आती है; परंतु कुछ लोगों को इसपर विश्वास नहीं रहता । Read more »

दानवीर कर्ण

बालमित्रों, कर्ण दुर्योधन का घनिष्ठ मित्र था । वह एक महान दानी के रूप में प्रसिद्ध था । वह अपने पास आए किसी भी याचक को कभी खाली हाथ नहीं लौटाता था, ऐसी उसकी कीर्ति थी । Read more »

टेंबेस्वामी : श्री वासुदेवानंद सरस्वती

इनको श्री टेंबेस्वामीजीके नामसे भी जाना जाता है । इनका वास्तविक नाम वासुदेव था; पिताजीका नाम गणेशभट्ट, माताजीका नाम रमाबाई और दादाजीका नाम हरीभट्ट था । Read more »