पंढरपुरमें पांडुरंगकी मूर्तिकी स्थापना

`‘हे पांडुरंग, आपके चरण समचरण हैं । उनमें द्वैत नहीं है । ऐसे स्वरूपमें आप इन दो इंटोंपर (द्वैतपर) अद्वैत स्वरूपमें खडे हैं ।’’ Read more »

ज्ञानेश्वरी की विशेषताएं

‘ज्ञानेश्वरी’ ग्रंथ महाराष्ट्र के संत ज्ञानेश्वर ने बारहवीं शताब्दी में लिखा । शक १२१२(इ.स.१२९०)में प्रवरा तटपर स्थित नेवासे गांव के मंदिर में एक खंभे का आधार लेकर संत ज्ञानेश्वर ने भगवत गीता का भाष्य किया….. Read more »

गुणों का महत्‍व

एक राजा था, जिसका नाम रामधन था । उसके राज्‍य का कामकाज आराम से चल रहा था । राजा के नैतिक गुणों के कारण प्रजा भी प्रसन्‍न थी । राजा के राजकुमार का नाम नंदनसिंह था । अत्‍यधिक लाड-प्‍यार ने नंदनसिंह को बिगाड दिया था । वह अत्‍यंत जिद्दी हो गया था । राजा ने उसे गुरु राधागुप्‍त के आश्रम भेज दिया । Read more »