अध्यात्म की पहली सीढी : अहंकार का त्याग !
एक नगर में शूरसेन नाम का एक राजा था । शूरसेन अत्यंत पराक्रमी होने के कारण उसे अपने शौर्य, राज्य, सुख-संपत्ति तथा कर्तापन का अत्यंत अहंकार था । एक दिन शूरसेन को अध्यात्म सीखने की इच्छा हुई । शूरसेन ने अपने प्रधान को बुलाकर राज्य में जो भी अध्यात्म सिखानेवाले सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी गुरु है, उनका सम्मान करने और अध्यात्म सिखाने के लिए राजमहल में लाने की आज्ञा दी । Read more »