संत गोंदवलेकर महाराजजी का आज्ञापालन

संत गोंदवलेकर महाराजजी ने अपने गुरु प.पू. तुकामार्इ महाराज के हर एक आज्ञा का पालक किया इसिलिए उन्हें उनके गुरु के आशीर्वाद मिले तथा उनपर प्रभु श्रीराम की अखंड कृपा हुई । उनके आज्ञापालन का एक उदाहरण इस कथा से देखेंगे । Read more »

निराभिमानी, करुणाकर एवं क्षमाशील संत तुकाराम महाराज !

समर्थ रामदास स्वामी नामक सुप्रसिद्ध संत थे । उनके पास आंतरिक एवं बाह्य दोनो प्रकार के सामर्थ्य थे । इसके विपरीत संत तुकाराम महाराज सामान्य रहन-सहन एवं शांत स्वभाव के संत थे । आइए, उनके एक शिष्य के अपने अविचार से किए कृत्य एवं संत तुकाराम महाराज की क्षमाशीलता को जान लें । Read more »

संतों के वचनों का विपरीत अर्थ लगानेवाले को पाठ पढानेवाले समर्थ रामदासस्वामी !

एक बार महाराष्ट्रके मिरज स्थित सुभेदार जलालखान घूमते-घूमते जयरामस्वामीके प्रवचनके स्थानपर पहुंच गए । साधू-संतोंके विषयमें उसके मनमें अनादर था । वहां पहुंचनेपर उसने सोचा, देखे तो सही ये क्या बोलता है ! Read more »

भगवान पांडुरंग ने छत्रपति शिवाजी महाराज की रक्षा करना !

संत तुकाराम महाराज के कीर्तन सुनने के लिए आए छत्रपती शिवाजी महाराज की भगवान पांडुरंग ने यवन सेना से कैसे रक्षा की यह इस कथा से हम देखेंगे । Read more »

संत ज्ञानेश्वरजी : भागवत धर्म की स्थापना !

निवृत्ति, ज्ञानेश्वर, सोपान एवं मुक्ताबाई पैठण (महाराष्ट्र)के आपेगांव में रहनेवाले कुलकर्णीजी की संतानें थी । चारों बच्चे भगवानजी के परमभक्त थे । उनके पिता ने संन्यास की दीक्षा ली थी । परंतु अपने गुरु की आज्ञा से उन्होंने पुन: गृहस्थाश्रम में आगमन किया । Read more »

संत मच्छिंद्रनाथजी का जन्म

एक बार शिवजी क्रोधवश कैलाश पर्वत एवं गौरी को छोडकर एक घनघोर जंगल में आकर रहने लगे तथा वहीं समाधिस्थ हो गए । गौरी ने बहुत ढूंढा; परंतु शिवजी नहीं मिले । अचानक नारदमुनि वहां आए । Read more »

श्री गणेशदास

एक सत्पुरुष काशीक्षेत्र में रहते थे जिन्होंने पुराण एवं उपनिषदों का पूर्ण अध्ययन किया था । उनका नाम ‘गणेशदास’ था । जैसे महाराष्ट्र में रामदास वैसे ही काशीक्षेत्र में गणेशदास ! Read more »

अहंकार

शंकराचार्य हिमालय की ओर यात्रा कर रहे थे । तब उनके साथ उनके सभी शिष्य थे । सामने अलकनंदा नदी का विस्तीर्ण पात्र था । Read more »

स्वामी दयानंदजी का दृष्टांत

स्वामी दयानंदजी के विषयमें एक सुंदर कथा कहते हैं । स्वामी दयानंदजी एक बार ऋषिकेश गए थे । उस कालखंड में अनेक सिद्ध पुरुष ऋषिकेश में जाकर वास्तव्य किया करते थे । आज भी ऐसा कहा जाता है कि, हिमालय के परिसर में अनेक सिद्ध पुरुष वास कर रहे हैं । Read more »

ईश्वर का नामजप करनेवालों को काल का भय नहीं होता

संत कबीरजी एक बार बाजार से जा रहे थे, मार्ग में उनको एक व्यापारी की पत्नी चक्की पिसती दिखाई दी । चक्की को देख के कबीरजी को रोना आ गया । Read more »