ईमानदार स्वामी विवेकानंद !
बचपन से ही स्वामी विवेकानंदजी में एक असाधारण प्रतिभा थी । वह जब बात करने लगते तो प्रत्येक व्यक्ति उन्हें ध्यानमग्न होकर सुनने लगता । एक दिन पाठशाला में उनकी कक्षा में वे अपने मित्रों से बात कर रहे थे । उसी समय उनके शिक्षक उनकी कक्षा में आ पहुंचे और उन्होंने अपना विषय पढाना आरंभ कर दिया । परन्तु नरेंद्र की बात सुन रहे छात्रों को कक्षा में शिक्षक आने का पताही नही चला । वे नरेंद्र को सुनते ही रहें । Read more »