दीपावली के निमित्त से सात्त्विक रंगोलियां !
कृष्णतत्त्व की रंगोलि : १३ ते १७ बिंदु लक्ष्मीतत्त्व की रंगोलि : ११ बिंदु ११ रेखाएं संदर्भ : सनातन-निर्मित लघुग्रंथ, ‘सात्त्विकरंगोलियां’
कृष्णतत्त्व की रंगोलि : १३ ते १७ बिंदु लक्ष्मीतत्त्व की रंगोलि : ११ बिंदु ११ रेखाएं संदर्भ : सनातन-निर्मित लघुग्रंथ, ‘सात्त्विकरंगोलियां’
लाल रंग के कारण वातावरण से गणपति के पवित्रक मूर्ति में अधिक मात्रा में आकृष्ट होते हैं व मूर्ति के जागृतिकरण में सहायता मिलती है । क्यूंकि यह समझना कठिन है, इसलिए ‘गणपति को लाल वस्त्र व रक्तचंदन प्रिय हैं’, ऐसा कहकर यह विषय प्राय: समाप्त कर दिया जाता है । Read more »
पौराणिक कारण : ‘एक अतिसुंदर अप्सरा को उत्तम पति की इच्छा थी । इसके लिए वह सदा उपवास, जप, व्रत, तीर्थयात्रा आदि करती थी । एक बार जब उसने ध्यानमग्न गणपति को देखा, तो उसे वे भा गए । Read more »
बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला तथा अतिप्राचीन है गुजरात राज्य का यह शैवक्षेत्र ! पहले दशक में ही सोमनाथ में प्रथम पत्थर के मंदिर का निर्माण किया गया । Read more »
ओडिशा राज्य में कोणार्क के सूर्यमंदिर की रचना एक भव्य रथ के जैसी थी । गंग वंश के राजा नरसिंहदेव के शासनकाल में (वर्ष १२३८ से १२६४) इस मंदिर की स्थापना हुई । Read more »
आज संस्कृतदिन ! जिस देववाणी संस्कृतने मानव को ईश्वरप्राप्ति का मार्ग दिखाया, उस देववाणी को ही कृतघ्न मानव विशेषतः स्वातंत्र्योत्तर काल में भारत के सर्वपक्षीय राजनेता नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं ।
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‘संस्कृत ईश्वर की ही निर्माण की हुई भाषा है । यह संसार की सर्व भाषाओं की जननी है । संस्कृत का महत्त्व आज पश्चिमी लोगोंने भी जाना है । Read more »
यह सब आज आधुनिकता के प्रभाव से हो रहा है । आज प्रत्येक मनुष्य में विषय वासनाओं के अत्याधिक प्रभाव के कारण तथा सत्य के ज्ञान का अभाव होने से मानव जीवन में अनावश्यक विकृतियां जन्म ले रही हैं, उन्हें ही ‘पाप’ कहते है। Read more »
वेद अर्थात् प्राचीन भारतीय ज्ञान की नींव । कुल चार वेद हैं और वह है ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद । इन वेदों मे निश्चित रूप से क्या लिखा है, यह कितने लोग जानते हैं ? Read more »