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विश्व हिन्दू परिषद जल्द ही मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त कराने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान चलाएग

नई दिल्ली – भारत में एक भी मस्जिद या चर्च सरकारी नियंत्रण में नहीं है । जब अल्पसंख्यक मुस्लिम और ईसाई अपने धार्मिक स्थल का संचालन कर सकते हैं तो हिन्दू क्यों नहीं ? अकेले तमिलनाडु में ४०० से ज्यादा मंदिरों को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है । यह संविधान का उल्लंघन है । यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन बार निर्णय सुनाया है कि सरकार को मंदिर की संपत्ति के प्रबंधन से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए , मंदिरों की संपत्ति का दुरुपयोग उस उद्देश्य के लिए किया जाता है जिसके लिए भक्तों ने दान नहीं किया है । इससे जुड़े कई उदाहरण हैं । इसलिए, विश्व हिन्दू परिषद जल्द ही पूरे देश में मंदिरों को सरकार से मुक्त करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करेगी, ऐसा वीएचपी महासचिव सुरेंद्र जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा ।

अगर काशी और मथुरा मुसलमानों ने वापस दे दिए तो हिन्दू रुक जाएंगे !

मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत में लाखों मंदिरों को ध्वस्त कर दिया और उन पर मस्जिदें बना दीं। ये बात पूरी दुनिया जानती है । साल १९८४ में भारत के संतों ने मुसलमानों को एक अच्छा प्रस्ताव दिया । “ आप हमें केवल अयोध्या , मथुरा और काशी ही दीजिए । हम अन्य लाखों मंदिरों को भूल जाएंगे । ‘ आज की स्थिति के लिए मुस्लिम नेतृत्व जिम्मेदार है क्योंकि उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया । अगर उस समय मुसलमान मान जाते तो ये ३ जगहें हमारी होतीं और मौजूदा मुद्दा ही नहीं उठता । अब ३ में से २ बचे हैं । मुझे लगता है कि २ स्थान दिए जाने पर हम समाज के प्रबुद्ध वर्ग को समझा सकते हैं कि हर जगह मंदिर मत तलाशो । इसलिए मुस्लिम समुदाय के पास अभी भी मथुरा और काशी को हिन्दुओं को लौटाने का मौका है । तब ही हिंदू समाज मिलाप और समरसता के लिए खड़ा हो सकता है।

 

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