काशी विश्वनाथ मंदिर
वाराणसी को बनारस तथा काशी के नाम से भी जाना जाता है, यह उत्तर प्रदेश राज्य का प्रमुख शहर है । पवित्र नदी गंगा के किनारे स्थित इस शहर का हिंदुओं के लिए अत्यंत धार्मिक महत्त्व है । वाराणसी में भगवान शिवजी का विश्वनाथ मंदिर है जहां बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है । ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर अनेक बार निर्माण हुआ । नवीनतम संरचना जो आज यहां स्थापित है उसका निर्माण १८ वीं शताब्दी में हुआ । सहस्त्रों धार्मिक यात्री यहां पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु एवं अभिषेक के लिए यहां एकत्रित होते हैं, गंगा नदी के जल से शिवजी को अभिषेक किया जाता है ।
इसके धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी अनुपम है । इसका भव्य प्रवेशद्वार दार्शनिक है । इंदौर की रानी अहिल्या बाई होलकरजी को स्वप्न में भगवान शिवजी के दर्शन हुए । वे शिवभक्त था । उन्होंने १७७७ में यह मंदिर निर्मित कराया । दशाश्वमेध घाट और गोदुलिया के बीच मणिकर्णिका घाट के दक्षिण और पश्चिम तक नदी की उत्तर दिशा में वाराणसी के यह मंदिर मध्य में स्थित है । यह पूरा क्षेत्र दर्शन योग्य है जहां अनेक मठ दिखाई देते हैं ।
विश्वनाथ गली तक पहुंचते हुए यह विश्वनाथ मंदिर “सभी के भगवान” माने जाते हैं शिखरपर स्वर्ण लेपन होनेके कारण इसे स्वर्ण मंदिर भी कहते हैं । परिसर के भीतर, एक अत्यंत अनोखे प्रकार के द्वार से पहुंचा जाता है, यह भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण शिवलिंग है । यह चिकने काले पत्थर से बना हुआ है । इसे ठोस चांदी के आधार में रखा गया है । यहां भक्तजन आकर संकल्प करते हैं । पंचतीर्थ यात्रा आरंभ करने के पहले अपने मन की भावना यहां व्यक्त करते हैं ।
वाराणसी में घाटों और गंगा नदी के अतिरिक्त मंदिर में स्थापित शिवलिंग वाराणसी का धार्मिक आकर्षण बना हुआ है ।