पाक पीएम नवाज शरीफ के ओबामा से मुलाकात पर अनभिज्ञता जताने के बाद अब अमेरिका ने पाकिस्तान की सेना को दी जाने वाली अहम मदद की किश्त रोक दी है। अमेरिका ने इस कदम की वजह यह बताई है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ जरूरी कार्रवाई नहीं कर सका है।
इस बारे में पाकिस्तानी अखबार डॉन की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट छपी थी। इसके मुताबिक अमेरिका ने कहा है कि वह कांग्रेस से इस बात की तस्दीक नहीं करेगा कि नॉर्थ वजीरिस्तान में पाकिस्तान के आतंक विरोधी अभियान ने हक्कानी नेटवर्क को कोई नुकसान पहुंचाया है।
इसमें उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने वॉशिंगटन में मौजूद पाकिस्तानी मिशन और इस्लामाबाद में पाक अधिकारियों को यह बात बता दी है। डॉन के मुताबिक हालांकि इस बारे में पूछने पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया है, पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि इस बारे में उन्हें मौखिक रूप से बता दिया गया है।
अमेरिका के इस कदम को पाकिस्तान के आर्थिक के साथ ही बड़े राजनीतिक नुकसान के तौर पर भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे पाक के अफगानिस्तान के साथ रिश्तों को भी धक्का पहुंचेगा। अफगानिस्तान अपने पड़ोसी देश पर तालिबान को अड्डों को पनाह देने आरोप लगाता रहा है।
पाकिस्तानी मीडिया में कहा जा रहा है कि अमेरिका के इस फैसले से दोनों देशों के रिश्तों में दरार आ सकती है। पाक पीएम नवाज शरीफ का आगामी अक्टूबर में वाइट हाउस का दौरा प्रस्तावित है। अमेरिका 2001 से पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी मदद मुहैया करा रहा है। अमेरिका अब तक पाकिस्तान को 13 बिलियन डॉलर मुहैया करा चुका है।
ओबामा और शरीफ की मुलाकात के बारे में वाइट हाउस के एक अधिकारी का कहना था कि यह उनके लिए भी नई खबर है। उन्होंने कहा कि अभी शरीफ के वॉशिंगटन आने की घोषणा नहीं की गई है।