हिन्दू राष्ट्र हमारी पहचान है । यह एक भावना है, जो हमें एकजुट करती है । हिन्दू राष्ट्र कोई भौगोलिक सीमा को दर्शानेवाली संकीर्ण सोच या अवधारणा नहीं है । इसमें इस देश के लोगों की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, इतिहास, धर्म, साहित्य, कला और राजनीति सम्मिलित है। हिन्दू राष्ट्र केवल एक धार्मिक या राजनीतिक अवधारणा नहीं है। यह एक आदर्श सामाजिक-धार्मिक-आर्थिक व्यवस्था है। सत्यनिष्ठा, योग्यता तथा न्याय हिन्दू राष्ट्र की पहचान हैं । यह वह हिन्दू राष्ट्र है, जिसकी हम कल्पना करते हैं। हम आपको हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने की इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हैं, जहां न केवल हिन्दुओं के लिए, अपितु संपूर्ण मानवजाति के लिए शांति और समृद्धि होगी।
हिन्दू राष्ट्र क्यों आवश्यक है ?
सदियों से राष्ट्र और धर्म बाहरी और आंतरिक अधार्मिक ताकतों के निरंतर आक्रमणों के अधीन रहे हैं । ये आक्रमण उस राष्ट्र के धार्मिक-बौद्धिक-सांस्कृतिक-आर्थिक दिवालियापन में प्रकट हुए हैं, जो कभी विश्वगुरु था। अनादि काल से पालन किए जाने वाले धार्मिक सिद्धांतों के कारण इस राष्ट्र की लौकिक और आध्यात्मिक प्रतिष्ठा अद्वितीय है। किंतु अपने धार्मिक मूल्यों से स्वयं को अलग करने के कारण आज हमारी स्थिति दयनीय हो चुकी है। इस कारण हमें इस प्रकार की अधार्मिक ताकतों का सामना करने के लिए आवश्यक आध्यात्मिक और शारिरीक शक्ति से वंचित कर दिया है ।
हिन्दू राष्ट्र में एक धर्म-संचालित सामाजिक-धार्मिक व्यवस्था होगी, जो प्रत्येक जीव को बंधनमुक्त (स्वतंत्र) करेगी। मुक्ति के महत्व को हिन्दू शब्द से समझा जा सकता है – ऐसा व्यक्ति जो स्वयं को क्षुद्र प्रवृत्ति से मुक्त कर सात्त्विकता की ओर बढता है, जिस कारण वह शाश्वत आनंद ले सके उसे हिन्दू कहते हैं । इसलिए इस प्रकार के प्रयत्न के लिए अनुकूल वातावरण देनेवाला राष्ट्र न केवल हिन्दुओं को, अपितु देश एवं विश्व के प्रत्येक नागरिक को लाभान्वित करेगा ।
हिन्दू जनजागृति समिति अध्यात्म का समर्थन क्यों करती है ?
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य के लिए शारीरिक और आध्यात्मिक बल की आवश्यकता होगी । शारीरिक शक्ति केवल शारीरिक चुनौतियों का सामना कर सकती है, किंतु आध्यात्मिक शक्ति आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों चुनौतियों का सामना कर सकती है। शारीरिक बल कम समय में प्राप्त किया जा सकता है, किंतु आध्यात्मिक बल विकसित करने में समय लगता है, साथ ही ईश्वरीय कृपा की भी आवश्यकता होती है ।
साधना (अध्यात्म का अध्ययन) करने से रज और तम के कारण होनेवाले आध्यात्मिक प्रदूषण में कमी होने के साथ-साथ सत्त्वगुण में वृद्धि होगी । इस प्रकार नागरिकों के साथ-साथ शासकों को भी हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने के लिए आवश्यक आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होगी। इससे प्रत्येक कार्य आध्यात्मिक होगा, चाहे वह प्रशासन हो या शिक्षा । साथ ही इससे आध्यात्मिक रूप से शुद्ध वातावरण तैयार होगा। ऐसा आध्यात्मिक समाज स्वाभाविक रूप से सभी के उद्धार के लिए प्रयास करेगा।
हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी और विभिन्न मार्गी आध्यात्मिक संतों की आध्यात्मिक सहायता तथा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है । हिन्दू जनजागृति समिति इसे धर्म की स्थापना का कार्य मानती है। इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में भाग लेना, उसमें सम्मिलित सभी लोगों के लिए आध्यात्मिक उद्धार का माध्यम होगा।
आप क्या कर सकते हैं ?
अधिवक्ता
हिन्दू हितों के लिए कानूनी लडाई में निःशुल्क कानूनी सहायता और विशेषज्ञता प्रदान करना
उद्यमी
हिन्दू संगठनों या कार्यकर्ताओं को नियमित वित्तीय सहायता प्रदान करना
पत्रकार
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के महत्त्व को लोकप्रिय बनाने के लिए अपनी पहुंच का उपयोग करें
शिक्षक
अपने विद्यालय के छात्रों में देशभक्ति और नैतिक मूल्यों को विकसित कर भावी राष्ट्रवादी पीढियों को तैयार करें
मंदिर न्यासी
अपने मंदिरों को हिन्दू धर्म की शिक्षा लेने, उसका अध्ययन और प्रचार करने का केंद्र बनाएं
सरकारी अधिकारी
आगामी हिन्दू राष्ट्र में आनेवाली प्रशासनिक कमियों के निवारण हेतु उपाय ढूंढें ।
सोशल मीडिया कार्यकर्ता
अपने समूह में हिन्दू राष्ट्र के लिए अभियान चलाएं, भ्रामकता को दूर करें और हिन्दू राष्ट्र के विचार को प्रचलित करें
हिन्दू संगठन
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एकजुट हों और अपने संगठन की शक्ति को केंद्रित करें
संत एवं आध्यात्मिक नेता
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना को अपनी साधना का अंग मानने के लिए अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन करें
हिन्दू राष्ट्र के
कार्य में
आपकी आवश्यकता है
हिन्दू राष्ट्र के
कार्य में
आपकी आवश्यकता है
मैं गर्व से हिन्दू हूं और मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि..
मेरे कुलदेवता / इष्टदेवता का प्रतिदिन एक घंटा नामजप करूंगा
हिन्दू राष्ट्र स्थापित हो, इसके लिए प्रतिदिन प्रार्थना करूंगा
सभी का ‘नमस्कार’ या ‘जय श्रीराम’ से अभिवादन करूंगा
माथे पर गर्व से कुमकुम अथवा तिलक लगाऊंगा
मंदिर में प्रतिदिन कम से कम एक बार दर्शन के लिए जाऊंगा
मेरे परिवार में जन्मदिन हिन्दू पंचागं के अनुसार मनाऊंगा
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्यरत संगठनों को यथाशक्ति दान करुंगा
मेरे परिवार और मित्रों को धर्मशिक्षा देने के लिए व्याख्यान आयोजित करूंगा
बच्चों में राष्ट्र एवं धर्मप्रेम को बढाने के लिए बालसंस्कार वर्ग का आयोजन करूंगा
मेरे हिन्दू साथियों को उनके कर्तव्य के प्रति जागृत करने के लिए प्रदर्शनियों का आयोजन करूंगा
राष्ट्र और धर्म सम्बन्धी पुस्तकों का प्रायोजक बनकर वितरण करूंगा
राष्ट्र और धर्म सम्बन्धी पर्चे (पाम्पलेट्स) का प्रायोजक बनकर वितरण करूंगा
जागरूकता निर्माण करने के लिए जानकारी देनेवाला फलक लगाकर उसे नियमित रूप से अद्यतन करूंगा
मेरे सोशल मीडिया समूह का उपयोग राष्ट्र और धर्म के विषय में होनेवाले पोस्ट साझा करने के लिए करूंगा
मेरे परिवार तथा धर्म की रक्षा के लिए स्वरक्षा प्रशिक्षण सीखूंगा