गीता की सीख कृति में लाकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करें !
गीता केवल सीखें नहीं, अपितु उसकी सीख कृति में लाकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करें !
गीता केवल सीखें नहीं, अपितु उसकी सीख कृति में लाकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करें !
हिन्दू राष्ट्र में जाति नहीं रहेगी । इसलिए आरक्षण मिलने का प्रश्न उपस्थित नहीं होगा । राष्ट्रहित के लिए सभी पद पर गुणों के अनुसार नियुक्ति की जाएगी ।
श्रीराम एवं श्रीकृष्ण ने सनातन धर्म राज्य स्थापित किया । वह अवतारी कार्य था । अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ की (सनातन धर्म राज्य की) स्थापना होगी । वह कालमहिमा के अनुसार होगी । अत: किसी के लिए उसका श्रेय लेना असंभव होगा ।
आरक्षण की मांग करनेवाले यह ध्यान में लें कि, ‘छत्रपती शिवाजी महाराज, पेशवे, राणी लक्ष्मीबाई आदि आरक्षण से नहीं, अपितु स्वकर्तृत्व से आगे बढे थे ।
साधना करनेवाले लोग ऐसी इच्छा रखते हैं कि, अगला जन्म नहीं होना चाहिए जबकि राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी पुनर्जन्मप्राप्ति की कामना करते हैं । यदि इसे स्वेच्छा कहें, तो अगला जन्म न हो ऐसी कामना भी स्वेच्छा ही सिद्ध होती है !
उपयोग करें एवं फेंक दें (use and throw) पाश्चात्त्यों की ऐसी जो आधुनिक संस्कृति है, उसे अब अनेक युवकों ने भी आत्मसात कर लिया है । इसलिए जिन मां-बाप ने जन्म दिया, जन्म से लेकर स्वावलंबी होने तक सभी प्रकार से चिंता की, उदा. बीमारी में सभी सेवा की, शिक्षा दी, उनके विषय में कृतज्ञ … Read more
‘हिन्दू राष्ट्र’ में जाति, धर्म इत्यादि के अनुसार आरक्षण नहीं रहेगा, अपितु क्षमता के अनुसार ही नौकरियां देने से प्रशासन सक्षम रहेगा । इसलिए जनता के सभी प्रश्न अनेक वर्षों तक प्रलंबित न रख कर तत्काल उनका समाधान निकाला जाएगा ।
‘धर्मशिक्षा के अभाव में तथा बुद्धिवादियों द्वारा निर्माण किए गए विकल्पों के कारण हिन्दुओं को हिन्दू धर्म की महानता ज्ञात नहीं है तथा इसलिए हिन्दुओं मेेंं धर्माभिमान नहीं है; इसलिए विश्व के सर्व धर्मियों में हिन्दुओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है !’
‘पूर्वजों की संपत्ति उडाकर व्यक्ति दीवालिया बन जाता है । उसी प्रकार भारत का गोधन, खनिज आदि समाप्त होने पर भारतीय दीवालिया बन जाएंगे । दीवालिया भारत को पुनः व्यवस्थित करने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना आवश्यक है !
लडकोंकी शिक्षा अयोग्य रहनेका एकमात्र कारण केवल यह नहीं कि वे अंग्रेजी माध्यमके विद्यालयमें शिक्षा ग्रहण करते हैं । घरमें होनेवाले झगडे तथा दैनिकमें एवं दूरदर्शन (टीवी) प्रणालपर आनेवाले स्वेच्छाचार, भ्रष्टाचार, जात्यन्धता, अपहरण, बलात्कार, हत्या इत्यादि समाचारोंसे भी उनपर अनिष्ट संस्कार होते हैं । भविष्यमें ऐसे समाचारोंका उनपर कुछ परिणाम नहीं होता एवं कुछ कालावधिके … Read more