कहां अपने १-२ बालकों भी नियंत्रण में रखकर उनपर संस्कार न करनेवाले आजकल के अभिभावक . . .

‘कहां अपने १-२ बालकों भी नियंत्रण में रखकर उनपर संस्कार न करनेवाले आजकल के अभिभावक, तो कहां अपने सहस्रों भक्तों पर साधना के संस्कार करनेवाले संत तथा गुरु !’