क्या है यह सनबर्न फेस्टिवल ?
सनबर्न फेस्टिवल एक म्यूजिक फेस्टिवल होता है । इसका प्रारंभ गोवा में २००७ में हुआ था । गोवा सरकार ने इसे अनुमती ना देनेपर २०१६ से यह कार्यक्रम भारत में अन्य जगहोंपर आयोजित किया जाता है, परंतु अब २०१९ में फिर एक बार सनबर्न का आयोजन गोवा में होने जा रहा है । इस वर्ष यह कार्यक्रम २७ से २९ दिसंबर २०१९ उत्तर गोवा जिले में हो रहा है ।
अतिनील (Ultra violet) किरणों के कारण त्वचा जल जाती है, इसे अंग्रेजी में ‘सनबर्न’ कहा जाता है । गोवा में आयोजित ‘सनबर्न फेस्टिवल’ भी युवा पिढी को नशीले पदार्थ, शराब तथा अनैतिकता के चक्रव्यूह में ढकेलकर उनके जीवन को जला रहा है । इसी कारण गोवा के संस्कृतीप्रेमी तथा सुसंस्कृत नागरिक इस कार्यक्रम का जमकर विरोध कर रहे है ।
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स्थानीय ‘गोवा फॉरवर्ड पार्टी’ ने किया सनबर्न फेस्टिवल का विरोध, कहा कि यह आसुरी संगीत है ।
हाल ही में पूर्व मंत्री तथा गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी को गोवा में चल रहे ड्रग्ज कारोबार के विषय में एक ‘सिक्रेट’ रिपोर्ट भेजा है, जिसमें अनेक राजकीय नेता तथा पुलिस अधिकारीयों के नाम भी शामिल है ।
उस समय पत्रकारों से वार्तालाप में उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को शास्रीय संगीत का प्रसार करना चाहिए, न कि ट्रान्स म्युजिक का । युवा पिढी को आकर्षित करनेवाला यह संगीत आसुरी संगीत है ।’’ उन्होंने दिसंबर २०१९ में होनेवाले सनबर्न फेस्टिवल पर पाबंदी लगा ने की मांग की है ।
युवा पिढी को अनैतिकता के चक्रव्यूह में ढकेलनेवाला ‘सनबर्न फेस्टिवल’
आज भारत में नशीली पदार्थों का सेवन तथा उससे संबंधित अपराध तेजी से बढ रहे है । उच्च वर्ग के कई युवक-युवती ड्रग्ज के आदत के शिकार हो रहे है तथा अपने जीवन को विनाश की मार्गपर लेकर जा रहे है ।
‘सनबर्न’ के कारण गोवा में हजारो लोग, विशेषत: शहरों में रहनेवाले युवक-युवती, बडी मात्रा में आते है । गत वर्षों में जहां जहां सनबर्न का आयोजन किया गया है, वहां पर यह पाया गया है कि कई युवक-युवती हुक्का, चिलिम तथा नशीली पदार्थों का सेवन करते है । हेराल्ड गोवा के रिपोर्ट के अनुसार इस हेतु यह युवा वर्ग अस्थायी रूप में बनाए गए प्रसाधनगृह का उपयोग करते थे ।
सिफी के एक वार्ता के अनुसार, २००९ के सनबर्न फेस्टिवल में मेहा बहुगुणा नामक युवती की नशीली पदार्थों के अतिसेवन के कारण मृत्यु हुई थी । कंडोलिम नागरिक मंच के श्री. तुकाराम नाईक ने उस समय पत्रकार परिषद में कहा था कि ‘सनबर्न जैसे कार्यक्रम गोवा पर्यटन तथा कंडोलिम गांव का नाम खराब कर रहे है । हमने प्रशासन को इसकी अनुमती निरस्त करने के लिए लिखा है । अब प्रशासन ने मेहा की मृत्यु की जांच कर इसके लिए उत्तरदायी अपराधियों को दंड देना चाहिए ।’
इसी सनबर्न फेस्टिवल में आए एक युवक, सौरभ अग्रवाल, को २०१३ में नशीले पदार्थ साथ में रखने के कारण गिरफ्तार किया गया था । २०१३-१४ में ‘डेट-रेप-ड्रग’ के रूप में उपयोग में लाए जानेवाले केटामाईन के ४५० शीशी जब्त कर ली गई थी । इससे यह कहा जा सकता है कि सनबर्न फेस्टिवल जैसे कार्यक्रमों का आयोजन हमारी युवा पिढी को अनैतिकता तथा नशीली पदार्थों के चक्रव्यूह में फसाने का एक बहुत बडा षड्यंत्र है । इससे हमारी युवा पिढी विनाश के मार्ग पर अग्रेसर हो रही है ।
सनबर्न के आयोजकों नहीं चुकाया है गोवा सरकार को करोडो रूपयों का टैक्स
२०१७ के एक रिपोर्ट के अनुसार, सनबर्न, सुपरसॉनिक इडीएम के आयोजकों ने गोवा सरकार को अब तक ९.७ करोड रूपये दिये नहीं है । सनबर्न के आयोजक ‘पर्सेप्ट’ आस्थापन गोवा सरकार को ६ करोड से भी अधिक रूपयों का टैक्स २०११-१२ से नहीं दिया है । इसमें पर्यावरण टैक्स तथा पोलिस बंदोबस्त, ट्रॅफिक सेल के ना दिये गए पैसे शामिल है ।
हाल ही में प्रकाशित CMIE रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर २०१९ में गोवा में बेरोजगारी ३४.५ प्रतिशत पर पहुंच गई है । यह गोवा के इतिहास में बेरोजगारी का आज तक का उच्चांक है । खनिकर्म उद्योग बंद होने के कारण तथा पर्यटन क्षेत्र में आई मंदी के कारण गोवा के हजारो लोग बेरोजगार हो चुके है । इस कारण गोवा की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड रहा है । एैसे में सनबर्न के आयोजकों से करोडो रूपये ना वसूलना क्या अयोग्य नहीं है ?
‘सनबर्न फेस्टिवल’ में नहीं किया जाता ध्वनिप्रदूषण से संबंधित नियमों का पालन
कहा जाता है कि आज तक ‘सनबर्न फेस्टिवल’ में ध्वनिप्रदूषण से संबंधित नियमों का पालन नहीं हुआ है । यहां पर ध्यान देने की बात यह है कि हिन्दु त्यौहार तथा उत्सवों के समय जब इन नियमों का पालन कहीं होता, तो पुलिस तथा प्रशासन तुरंत कार्यवाही करते है । परंतु यह तत्परता सनबर्न के आयोजकों के विरूद्ध क्यों दिखाई नहीं देती ? २०१६ में पुणे में आयोजित कार्यक्रम के लिए ५५ डेसिबल ध्वनि की सीमा होते हुए भी कार्यक्रम में ४०० डेसिबल तक की ध्वनितीव्रता थी तथा यह कार्यक्रम देर रात तक चलता है ।
गोवा में पर्यटन वृद्धि हेतु ‘सनबर्न’ की नहीं, हमारी समृद्ध संस्कृती को बढावा देने की आवश्यकता
कुछ लोगों के एैसे लगता है कि सनबर्न जैसे कार्यक्रमों के आयोजन से गोवा में पर्यटन की वृद्धि हो सकती है । परंतु क्या सच में हमे एैसे अनैतिकता को बढावा देनेवाले कार्यक्रमों की इस हेतु आवश्यकता है ?
गोवा में अतुलनीय निसर्गसौंदर्य है, जैसे १०५ कि. मी. तक फैला समुद्र तथा अनेक सुंदर समुद्र तट (beaches), सुंदरता से परिपूर्ण पहाड है । कुशलतापूर्वक निर्माण किये गए प्राचीन मंदिर तथा किले भी गोवा में जगह जगह पर देखे जा सको है । गोवा को इस कारण ‘परशुराम भूमी’ भी कहा जाता है । एैसे पवित्र भूमी की समृद्ध संस्कृती को बढावा देकर भी गोवा के पर्यटन में वृद्धी लाई जा सकती है ।
हिन्दु जनजागृति समिति ने की ‘सनबर्न फेस्टिवल’ की अनुमती निरस्त करने की मांग
उपर दिये गये सभी कारणों को देखते हुए गोवा में दिसंबर २०१९ में होनेवाले ‘सनबर्न फेस्टिवल’ की अनुमती निरस्त करने की हिन्दु जनजागृति समिति ने पुलिस तथा प्रशासन से मांग की है ।
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