मंदिर हिन्दू धर्म की आधारशिला हैं !
मंदिर हिन्दू धर्म की आधारशिला हैं !
हिन्दू मंदिर जीवित संस्थान हैं, जो इससे जुडी परंपरा, रीति-रिवाज तथा समुदाय के अस्तित्व को सुनिश्चित करते हैं ।
मंदिर सकारात्मक आध्यात्मिक ऊर्जा को संरक्षित करने, बढाने और फैलाने में सहायता करते हैं, जिससे व्यक्ति एवं पर्यावरण की शुद्धि होती है ।
हिंदू मंदिर वास्तव में आध्यात्मिक, मानसिक एवं सांप्रदायिक सहायता केंद्र हैं, जो सभी हिंदुओं को संगठित करने का कार्य करते हैं।
हिंदू मंदिर केवल पूजा या जनसमूह का स्थान नहीं हैं। वे हिंदू संस्कृति की रक्षा, संरक्षण और पोषण में असाधारण भूमिका निभाते हैं। हिन्दू समुदाय ने मंदिरों का समर्थन किया और मंदिरों ने वाणिज्य, कला, संस्कृति और शिक्षा का पोषण किया। लुटेरे जिहादी गिरोहों को इसका अनुभव हुआ और उन्होंने हमारे मंदिरों को जला दिया। धूर्त अंग्रेजों को इसका अनुभव हुआ और उन्होंने हमारे मंदिरों को बलपूर्वक नियंत्रित करना शुरू कर दिया। स्वतंत्रता के बाद के भारत में, हिंदू मंदिरों को ‘धर्मनिरपेक्ष’ सरकारों के लिए पैसा कमाने का साधन बना दिया है। मंदिरों का खजाना लूट लिया, उनकी भूमि लूटकर बेच दी गई। मंदिरों की स्वायत्तता समाप्त होने से हिंदू समुदाय मंदिरों से अलग-थलग हो गए, जिसके परिणामस्वरूप नैतिकता का पतन हुआ और हिंदू धर्मांतरण के लिए तैयार हो गए।
मंदिर स्वतंत्र होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं !
हिंदू जनजागृति समिति मंदिरों की रक्षा के लिए लड रही है। समिति ने बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार को उजागर किया है, अनाचार को रोका है, मंदिरों में वस्त्रसंहिता (ड्रेस कोड) लागू करने को प्रोत्साहित किया है। हम आपसे हिंदू मंदिरों को मुक्त कराने के इस आंदोलन में सम्मिलित होने का आवाहन करते हैं ।
Laws
Laws like the Places of Worship Act 1991, state level Endowment acts ensure that Hindus don’t have control over their temples
Government
State governments treat Hindu temples as cash cows and use temple fund donations for purposes other than Hindu welfare
Judiciary
Hindu temple traditions are sacred and inviolable, but the judiciary regularly dictates changes in centuries old traditions
Fanatics
Hindu temples continue to be the prime target of religious fanatics, who either encroach on temple land or destroy temple property with impunity
सरकारी अधिग्रहण से प्रभावित हिन्दू मंदिर
सरकारी अधिग्रहण से प्रभावित हिन्दू मंदिर
हमें हिंदू मंदिरों को मुक्त कराने की आवश्यकता क्यों है?
प्रबंधन पर सरकारी नियंत्रण
आय पर शुल्क (टैक्स)
संपत्ति पर सरकारी नियंत्रण
प्रथा परंपरा की स्वतंत्रता
सहयोगी संस्थाओं पर सरकारी नियंत्रण
हमें हिंदू मंदिरों को मुक्त कराने की आवश्यकता क्यों है?
प्रबंधन पर सरकारी नियंत्रण
आय पर शुल्क (टैक्स)
संपत्ति पर सरकारी नियंत्रण
प्रथा परंपरा की स्वतंत्रता
सहयोगी संस्थाओं पर सरकारी नियंत्रण
मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करें !
#FreeHinduTemples
मंदिर की स्वायत्तता समाप्त होने से नुकसान
माना जाता है कि मंदिर की अचल संपत्ति से मंदिर को अर्थप्राप्ति होती है। वर्तमान में 0.0005% से भी कम भूमि मूल्य किराए के रूप में एकत्र किया जाता है, जिससे मंदिर की संपत्ति का भारी अवमूल्यन होता है ।
मंदिर की भूमि धार्मिक उद्देश्यों के लिए दान की जाती है। सरकारी उदासीनता के कारण यह जमीन अतिक्रमण की भेंट चढ गई। यहां तक कि सरकार भी उचित धनपूर्ति किए इस भूमि का उपयोग करती है ।
हिंदुओं द्वारा दान किए गए धन को हिंदुओं की भलाई और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए उपयोग करने की अपेक्षा सरकार द्वारा संचालित ‘विकास और निर्माण’ योजनाओं में खर्च कर दिया जाता है।
मंदिर की आय पर सरकार द्वारा कर (टैक्स) लगाया जाता है। यह इस आय पर सरकारी नियंत्रण के अतिरिक्त है, जिसका कम उपयोग होता है और इसे आसानी से सरकारी खजाने में भेज दिया जाता है।
स्थानीय राजनेताओं की मिलीभगत से मंदिर के अधिकारी कई बार हुंडी से नकदी, सोना या चांदी जैसे दान की प्रविष्टि होने से पहले ही निकाल लेते है ।
सरकार मंदिरों के न्यास पर कुप्रबंधन का आरोप लगाती है और अनुच्छेद 25 से 30 का उल्लंघन करते हुए उन्हें अपने कब्जे में लेने के लिए विभिन्न एचआर तथा सीई अधिनियमों का उपयोग करती है क्योंकि सरकार अधिग्रहण के लिए केवल हिंदू मंदिरों को निशाना बनाती है।
मंदिरों का धन इनके लिए है…
मंदिर शिक्षा, वाणिज्य, कला, संस्कृति, आध्यात्मिकता के केंद्र थे। किंतु जिस दिन से मंदिरों को उनकी उचित कमाई से वंचित कर दिया गया, तब से इन सबका पतन होता चला गया। इसके परिणामस्वरूप सनातन हिंदू धार्मिक संस्कृति का समग्र पतन हुआ। सनातन धर्म के गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए हमें हिंदू मंदिरों को हिंदू सभ्यता के केंद्र के रूप में पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है। इसलिए मंदिर निधि का उपयोग केवल हिंदू धर्म के अध्ययन, संरक्षण और प्रसार के लिए किया जाना चाहिए…
गौशालाओं का निर्माण
स्वदेशी गोवंश की जनसंख्या के संरक्षण के लिए
गुरुकुल का प्रारंभ
भावी पीढियों को हिंदू धर्म की शिक्षा देने के लिए
मंदिर का जीर्णोद्धार
प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार और रखरखाव के लिए
यज्ञ संस्कृति
धार्मिक यज्ञ संस्कृति के महत्व को पुनः स्थापित करने के लिए
वेद पाठशाला
उन वैदिक विद्वानों को शिक्षित करने के लिए जो हमारे धार्मिक ग्रंथों के आधार पर जनता का मार्गदर्शन कर सके
धर्मशिक्षा
स्वधर्म (हिन्दू धर्म) पर गर्व निर्माण हो, इसके लिए धर्मशिक्षा देने के लिए
मंदिरों की रक्षा के लिए हिन्दू जनजागृति समिति के प्रयास
सरकार ने श्री तुलजाभवानी मंदिर में 8 करोड के घोटाले की जांच रोक दी थी। समिति ने इस निर्णय को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया ।
हिन्दू जनजागृति समिति ने ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषद’ का आयोजन किया, 300 मंदिर ट्रस्टी, पुजारी, लेखा परीक्षक और अधिवक्ताओं ने हिंदू मंदिरों के संरक्षण और रक्षा का संकल्प लिया
समिति ने मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने के लिए एक अभियान चलाया। परिणामस्वरूप संपूर्ण महाराष्ट्र में अब तक 131 से अधिक मंदिरों ने ड्रेस कोड लागू किए हैं।
Hindu Rashtra Jagruti Andolan organised across India to demand central government to immediately pass the Anti-Love Jihad law
Memorandum submitted to Govt officials at various places to implement effective measures in the context of the gruesome problem of ‘Love Jihad’
Successful Online campaigns launched against advt. of Tanishq Jewellery and TV serial ‘Begum Jaan’ which promoted love jihad
शेयर करें तथा जागरूक करें !
हिंदुओं को सरकार से क्या मांग करनी चाहिए ?
सरकारी नियंत्रण में लिए गए मंदिरों को मुक्त कराकर सरकार को न्यायालय के आदेशों का पालन करना चाहिए।
मंदिर की संपत्ति का उपयोग विकास के उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा, ऐसी घोषणा सरकार को करनी चाहिए ।
ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए सरकार को बजट में प्रावधान करना चाहिए ।
तीर्थस्थलों एवं किलों पर होनेवाले मंदिरों पर किए गए अतिक्रमण का सर्वेक्षण कर उसे तत्काल हटाया जाना चाहिए
सरकार को मंदिर के पुजारियों को मासिक भत्ता देना चाहिए, क्योंकि उनकी आय बहुत कम है ।
मंदिर परिसर में शराब और मांस न बेचने की अधिसूचना सरकार को जारी करनी चाहिए ।
उचित दस्तावेज उपलब्ध होने पर ‘सी’ श्रेणी मंदिरों को तुरंत ‘बी’ श्रेणी के रूप में वर्गीकृत करना चाहिए
चैरिटी आयुक्त मंदिरों को सामाजिक उद्देश्य के लिए दान करने के आदेश न भेजें !
मंदिरों के धन का उपयोग केवल धार्मिक उद्देश्य के लिए किया जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकारी आदेश जारी किया जाना चाहिए
आप क्या कर सकते हैं ?
मंदिर न्यासी
अपने मंदिरों में यह करें..
धर्मनिष्ठ हिंदू
इसे अपनी धर्म सेवा के रूप में करें..