आश्रम वेब सीरिज – हिंदू धर्म की छवि बिगाडने का एक और प्रयास

टाइम्स इंटरनेट (टाइम्स ग्रुप की वेब शाखा) के स्वामित्व वाली वीडियो स्ट्रीमिंग और एम एक्स प्लेयर (MXPlayer) ने हाल ही में ‘आश्रम’ नामक एक वेब श्रृंखला प्रसारित की है । निर्माताओं के अनुसार, प्रकाश झा द्वारा निर्देशित श्रृंखला ‘उन नकली धर्मगुरुओं की वास्तविकता को उजागर करने का प्रयास है जो भोले-भाले लोगों को अपना लक्ष्य बनाते हैं’ । इसके ‘डिस्क्लेमर’ में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ‘पृथ्वी के सभी धर्मों और परंपराओं के प्रति वे पूर्ण सम्मान करने का दावा करते हैं’ । किंतु यह डिस्क्लेमर और कुछ भी नहीं अपितु किसी भी संभावित तथा सशक्त कार्यवाही को टालने का प्रयास है, क्योंकि इस वेब श्रृंखला में केवल हिंदू मान्यताओं और व्यवस्था को लक्ष्य बनाया गया है ।

२८ अगस्त, २०२० को एम एक्स प्लेयर (MXPlayer) ऐप और जालस्थल पर वेब श्रृंखला आश्रम के ९ एपिसोड नि:शुल्क प्रदर्शित किए गए । इसमें अभिनेता बॉबी देओल बाबा निराला काशीपुरवाला की भूमिका निभा रहे हैं, जो एक उपद्रवी से ईश्वरभक्त बन गए । वह हजारों भक्तों, अस्पतालों, विद्यालयों, कॉलेजों के साथ एक आश्रम का विशाल साम्राज्य चलाता है । इसके साथ ही उसका एक काला पहलू है , जिसमें उसके आश्रम में बलात्कार, हत्या, जबरन वसूली, ड्रग व्यवसाय, इत्यादि सम्मिलित हैं । बाबा निराला के चरित्र को गढते समय ‘आश्रम’ के निर्माताओं ने उसे अत्यंत निम्न दिखाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी ।

‘आश्रम’ के निर्माताओं से हमारे कुछ प्रश्न…

यदि आप वास्तव में इस देश के सभी धार्मिक विश्वासों और ‘खरे’ संतों का सम्मान करते हैं, तो आपने इस श्रृंखला के लिए ‘आश्रम’ नाम ही क्यों चुना ? आपने जो दिखाने का प्रयास किया है वह एक पंथ की विशेषताएं हैं । ईसाई और इस्लाम में भी पंथ हैं । आपने धर्मनिरपेक्षता का अनुसरण कर अपनी श्रृंखला का नाम ‘पंथ’ क्यों नही रखा ? ‘आश्रम’ ही क्यों ?

हमारे पाठकों के लिए, ‘आश्रम’ शब्द सनातन हिंदू धर्म का एक अभिन्न अंग है । उदाहरण के लिए, जीवन के चार चरण ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्रम, सन्यासाश्रम और वानप्रस्थाश्रम के रूप में जाने जाते हैं । वेब सीरीज़ को जानबूझकर ‘आश्रम’ नाम दिया गया है, जिससे यह धारणा बने कि ‘आश्रम’ शब्द से बुराइयां तथा विकृतियां जुडी हुई हैं ।

उसी परिप्रेक्ष्य में, यदि आप वास्तव में सभी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं, तो आपके धारावाहिक के नाम सीधे हिंदू मान्यताओं से ही क्यों चुने गए ?

प्राण प्रतिष्ठा – यह सीरिज बाबा निराला और उनके अनुयायियों के अच्छे आैर बुरे पक्षों को दर्शाता है । (प्राण प्रतिष्ठा एक पवित्र धार्मिक विधि है । इसे किसी भी धार्मिक विधि को आरंभ करने से पूर्व एक विशिष्ट देवी-देवता का तत्व जागृत करने के लिए किया जाता है । आश्रम के निर्माताओं ने सीधे शब्दों में इस शब्द की पवित्रता भंग की है) ।

गृह प्रवेश – इस सीरिज में दिखाया गया है कि लोग आश्रम में किस प्रकार का जीवन जीते हैं । (गृहप्रवेश, केवल एक शब्द नहीं अपितु धार्मिक विधियों का एक समुच्चय है, जो एक वास्तु को शुद्ध करने के लिए किया जाता है । साथ ही इससे वास्तु का निर्माण करने के लिए प्रकृति को जो भी कष्ट दिया गया है, उसके लिए क्षमा याचना करके अंत में ईश्वर को संतुष्ट करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह वास्तु अब वहां रहने वाले लोगों के लिए हितकारी है । निर्माताओं ने इस शब्द के केवल शब्दार्थ को ही लिया है) ।

महा प्रसाद – यह नशीली दवाओं के लड्डू को इंगित करता है जो बाबा और उनके अनुयायी भोले-भाले लोगों को देते हैं । यहां बाबा एक भक्त की पत्नी को लड्डू खिलाते हैं और उसके नशे में होने पर उसका बलात्कार करते हैं । (भक्त के जीवन में प्रसाद का बहुत महत्व है । ईश्वर / गुरु को श्रद्धा से अर्पित की गई भेंट उनके आशीर्वाद से पवित्र होकर चैतन्य का स्रोत बन जाती है । निर्माताओं ने इस सीरिज में बाबा द्वारा बांटे जानेवाले प्रसाद को जानबूझकर तिरस्कृत करने के लिए ड्रग्स के लड्डू से उसकी तुलना की है) ।

यदि आप वास्तव में पृथ्वी के सभी धार्मिक विश्वासों का सम्मान करते हैं, तो आपको पार्श्वभूमि में पवित्र शांति मंत्र ‘ॐ पूर्णमदं पुरमनिदम्…बजाने की आवश्यकता क्यों पडी ?

हमारे पाठकों के लिए : बाबा निराला के फ़्राइडे नामक आदमी को एक युवती का जंगल में पीछा करते हुए दिखाया गया है और पार्श्वभूमि में ईश्वस्योपनिषद से शांति मंत्र ‘ॐ पूर्णमदं पुराणमिदम्… ’ का जप बजाया गया है । एक श्लोक, जो हमें सम्पूर्ण सृष्टि का सार समझाता है, उसका उपयोग हत्या के जप के रूप में किया जा रहा है । और यह केवल एक बार नहीं किया गया है, इसमें जब भी कोई हिंसा होते हुए दिखाया गया है, तब शांति मंत्र पार्श्वभूमि में सुनाई देता है ।

यदि आपको यह दिखाना था कि पुलिस भ्रष्ट है, तो एक दलित IPS को भ्रष्ट क्यों दिखाया गया ? आप उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाते हैं जो अपनी योग्यता के बल पर नहीं, अपितु आरक्षण के कारण व्यवस्था में आ गए हैं । तो क्या यह दलितों को समुदाय से पृथक करने की षडयंत्र नहीं ?

उत्तर प्रदेश पुलिस बल के वरिष्ठ अधिकारी के रूप में एक आईजी को दिखाया गया है, जिसे प्रेम जाल में फंसाया जाता है और वो रोते हुए बाबा निराला के चरणों में गिर पडता है। क्या यहां आप पूरी पुलिस व्यवस्था को हीन नहीं दिखा रहे ? यह चित्रण, विशेष रूप से तब, जब उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अपराधियों के विरुद्ध अपनाए गए कठोर रवैये के लिए लोग उनकी प्रशंसा कर रहे हैं, राजनीति से ही प्रेरित लगती है ।

यदि आप ‘ईश्वर के भक्तों के काले पहलू’ को दिखाना चाहते थे, तो इतनी विकृति के साथ संभोग- दृश्यों को सम्मिलित करने की क्या आवश्यकता थी ? क्या आपको लगता है कि आपकी ‘काल्पनिक’ कहानी अनावश्यक रूप से नग्नता को दिखाए बिना लोगों को देखने के लिए उद्युक्त करनेवाली नहीं है ? जैसे, आपने धर्मनिर्पेक्षता दिखाने के लिए हिंदू धर्म की ओर ‘संकेत’ किया है, वैसे ही वास्तव में जो हो रहा है, उसे भी आप दिखा सकते हैं ।

यह पहली बार नहीं है कि निर्देशक ने पैसे बनाने के लिए हिंदुत्व का प्रयोग किया है । उन्होंने इसके पूर्व भी एक चलचित्र में ‘महाभारत’ का आधुनिक रूपांतरण दिखाकर उसका बाजारीकरण करने का प्रयत्न किया था ।

चित्रण के भव्य दृश्य, महंगी वेशभूषा, कलाकारों को अत्यधिक राशि दिए जाने इत्यादि के कारण बडी लागत से बनी इन फिल्मों में दर्शकों द्वारा भुगतान किए जाने पर भी लागत राशि को वसूल पाना कठिन लगता है । प्रकाश झा और एम एक्स प्लेयर (MXPlayer) ने तो पूरी श्रृंखला का प्रसारण निःशुल्क किया है (यद्यपि कुछ विज्ञापन भी इसमें सम्मिलित हैं), जो आश्चर्यचकित इस प्रश्न से कर देता है कि वास्तव में इस श्रृंखला का वित्तीय आपूर्ति कौन कर रहा है ? क्या देश को अस्थिर करने की इच्छा रखनेवाली शक्तियां इसके पीछे है, जो राष्ट्र के नैतिक सूत्रों को दुर्बल करना चाहती हैं, और वे इस विश्वास तथा निश्चिंतता के साथ धन व्यय कर रहे हैं कि भारतीय दर्शक इससे प्रभावित होकर धर्म से दूर हो जाएंगे !

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​