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बकरी र्इद के समय होनेवाली गोहत्या रोकें !

 

इस वर्ष २२ अगस्त २०१८ को बकरी र्इद है । इस दिन भारत में कर्इ मुस्लिमबहुल क्षेत्रों में बकरियों के साथ गोवंश की हत्याएं भी की जाती है, यह सभी को पता ही है । बकरी र्इद के समय पर पशु की कुर्बानी देने के संदर्भ में ‘कुरान’ में कुछ नियम बताए गए है, जो इस प्रकार है :

१. जिस पशु की आप कुर्बानी देनेवाले हो, वह आपको सर्वाधिक प्रिय होना चाहिए ।
वास्तविकता : आज कुर्बानी के समय एेसा कही भी देखने को नहीं मिलता, बहुसंख्य मुस्लिम कुर्बानी के लिए पशु को खरीदकर ही लाते है ।

२. जो व्यक्ति कुर्बानी देनेवाला है, वह दिन में ५ बार नमाज पढने वाला होना चाहिए । ५ बार नमाज पढने के बाद भी जिसके उपासना की प्यास नहीं पुरी होती, उन्हींको कुर्बानी देने का अधिकार है । एेसा भी कुरान में कहां गया है ।
वास्तविकता : इस बात की आेर क्या मुस्लिम ध्यान देते है ? क्या इसका पालन उनसे होता है ?

३. जिस पशु की कुर्बानी दी जानेवाली है, वह स्वस्थ हो, उसे किसी भी प्रकार की क्षती, जखम या पंगुता ना हो । एेसे पशु को पानी या खाने के बिना भी नहीं रखना चाहिए ।
वास्तविकता : आज हम देखते है कि, पशुआें को जिस वाहन में लाया जाता है, उसमें उन्हें ठूसकर भरा जाता है । जिससे कर्इ पशु घायल हाेते है या कुछ तो मर भी जाते है । उन्हें खाद या पानी भी नहीं दिया जाता । क्या एेसे पशु की कुर्बानी देना इस्लाम में ‘हराम’ नहीं होगा ?

४. जब किसी भी पशु की कुर्बानी दी जा रही हों, उस समय वहां पर कोर्इ भी अन्य पशु न हो ।
वास्तविकता : बकरी र्इद के दिन कर्इ जगहों पर एक ही क्षेत्र में कर्इ सारे जानवरों की कुर्बानी दी जाती है, जो इस्लाम को ‘कुबूल’ नहीं हो सकती ।

कितने मुस्लिम ‘कुरान’ में दिए गए उपरोक्त नियमों का पालन करते है ? जनता को भी यह ज्ञात है कि, सभी नियमों का कोर्इ पालन नहीं करता ।

भारत हिन्दुबहुल राष्ट्र है, जहां गाय को पवित्र तथा माता के समान माना जाता है । इसलिए यहां गाय को ‘गोमाता’ भी कहते है । गाय के दूध से हमें उर्जा मिलती है,  गाय का गोबर किसानों के लिए तथा अन्यों के लिए भी उपयुक्त है । भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान जैसे कर्इ राज्यों में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया गया है, परंतु फिर भी हमारे देश में बडी मात्रा में गोहत्या हो रही है । गोहत्या को प्रतिबंधित करनेवाले कानून में रहनेवाली खामियों के कारण गोहत्या करनेवाले तुरंत जमानत पाकर मुक्त हो जाते है ।

आॅनलार्इन हस्ताक्षर अभियान में सहभागी होकर बकरी र्इद के समय होनेवाली गोहत्या रोकने की मांग करें !

Taking action to stop cow-slaughter on the occasion of ‘Bakri Eid’

Sir,

‘Bakri Eid’ is on 22nd August. As per our past experience, cows are slaughtered along with goats in large number in this country, in areas where Muslim population is in majority. There are few rules given in ‘Quran’ about sacrificing animals on the day of ‘Bakri Eid’ as given below.

1. The animal, which is to be sacrificed, should be very dear to you.

2. One, who sacrifices animal, should read ‘namaz’ 5 times every day.

3. Animal, which is to be sacrificed, should not be wounded internally or externally.

4. Animal, which is to be sacrificed, should not be kept hungry or thirsty.

5. At the time of slaughtering, one animal should not be tortured in front of another animal.

It needs to be found out that how many Muslims follow the above rules. An ordinary citizen also knows that the above rules are not followed. If one studies these rules, one will realize that animal should not be bought for giving as sacrifice because something that is very dear should be sacrificed and not the animal which is bought. Only those, whose hunger for worship is not satiated even after reading ‘namaz’ for 5 times, have right to give such sacrifice and everyone doesn’t have such right. Sacrificing others is actually murder. The way animals are transported by loading them in trucks one above the other, causes injuries to animals and sacrificing such wounded animals is wrong. While transporting these animals, they are not fed properly. Killing such hungry and thirsty animals is also wrong. On the day of Bakri Eid, one animal is killed in front of another animal which is against Islam and will not be accepted under Islam.

Despite such rules mentioned in ‘Quran’, millions of goats and cows are slaughtered openly which is wrong under the religion. Cow is holy and like a mother to Hindus; therefore, it is called as ‘Goumata’. Everything obtained from cow, from milk to cow-dung is useful for farmers. Maharashtra Government has passed a law in the year 2015 imposing ban on cow-slaughter. It was therefore, expected that cow-slaughter and cow-trafficking will be stopped; but that has not happened. There is law banning cow-slaughter even in States like Gujarat, Haryana, Rajasthan and Madhya Pradesh etc; but there too, cows are slaughtered in large numbers. There is no provision in this law for stringent punishment; therefore, most of the accused are released immediately on bail and continue their illegal activity. It shows that cow-slaughterers and cow-traffickers are not at all scared of the law.

It has not been stated in ‘Quran’ to slaughter cows on the day of ‘Bakri Eid’. Muslims know that Hindus worship cows; even then they purposely kill them only to hurt religious sentiments of Hindus; leading to communal tension and social disharmony. Muslims are buying cows/ cattle in large numbers for the forthcoming Bakri Eid. Hindus are already annoyed with continuous cow-slaughtering, trafficking of beef etc. On one side, the Government is trying to preserve and increase number of animals by giving huge funds for the cause and trying to implement the law passed for ban on cow-slaughter but on the other hand, why is it granting permission for one day on the occasion of Bakri Eid to erect temporary slaughter-houses, is beyond understanding.

The Government should consider the following demands in connection with the above matter.

1. The Government has imposed ban on inhuman custom of sacrificing at the holy shrines of Shri Mandhardevi, on the fort of Satara and at other places. Similarly, the Government should impose ban on slaughtering of cows and goats on the day of Bakri Eid.

2. The Government has advised Hindus to celebrate eco-friendly Ganesh festival imposing ban on many religious customs and traditions. In same way, Government should explain rules regarding sacrifice to Muslims as explained in ‘Quran’ and make appeal to them for celebrating eco-friendly Bakri Eid.

3. As per Government’s orders, it is illegal to slaughter animals at any other place except at Government abattoirs. Even then, by granting permission for erecting slaughter-house for one day on Bakri Eid, the Government is going against its own orders. Such permission for slaughter-houses should not be granted.

4. ‘Gou-rakshaks’ are always ready to help Government for protection of cows/cattle. The local administrations should be alert and see to it that cows are not slaughtered. Police squads should be kept ready at different places, for surveillance on that day. The Government should note that if cows are slaughtered on the day of Bakri Eid and any law and order problem is created, the Government machinery would be solely responsible for such situation.

5. Stringent action should be taken against fanatic cow-traffickers trying to spoil the atmosphere.

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सुचना : Petition में सहभागी हुए सभी हिन्दुत्वनिष्ठों के नाम एवं इ-मेल की सूची केंद्रीय गृहमंत्री तथा भारत सरकार को इस Petition की कॉपी के साथ आॅनलार्इन भेजी जाएगी !

‘बकरी ईद के दिन गोमाता की हत्या करनी चाहिए’, एेसा कुरान में कहीं भी नहीं लिखा गया है । मुस्लिमों को यह ज्ञात है कि, गाय हिन्दूआें के लिए पूजनीय है, परंतु फिर भी वे गोहत्या कर जानबुझकर हिन्दुआें की धार्मिक भावनाआें को आहत करने का प्रयास करते है, एेसा प्रतीत होता है । इस कारण समाज में अराजकता तथा सांप्रदायिक तनाव की स्थिती उत्पन्न हो सकती है । एक आेर, सरकार पशुसंवर्धन के लिए काम करती है, गोहत्या प्रतिबंध के लिए कानून लाती है; वहीं दुसरी आेर, यही सरकार बकरी र्इद के अवसर पर अस्थायी कसार्इखानों को अनुमति देकर गोहत्या एक दिन के लिए वैध कर देती है ।

इसलिए हम सरकार से यह मांग करना चाहते है कि,

१. आज सरकार हिन्दुआें के श्री मांढरदेवी मंदिर जैसे कर्इ मंदिरों में पशुबली को ‘अमानवीय कृत्य’ कहते हुए उसपर रोक लगाती है । तो बकरी र्इद पर होनेवाली पशुआें की हत्याआें पर रोक क्यों नहीं लगार्इ जाती ? धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्मों के लिए अलग अलग न्याय क्यों ? सरकार को बकरी र्इद के दिन होनेवाली पशुहत्याआें पर भी रोक लगानी चाहिए ।

२. सरकार हिन्दुआें को त्यौहार, ‘इको फ्रेंडली’ (पर्यावरण को पूरक) रूप में मनाने के लिए कहती है तथा इसी कारण कर्इ धार्मिक परंपराआें पर रोक लगार्इ गर्इ है । किंतु कभी मुस्लिमों को ‘इको फ्रेंडली’ बकरी र्इद मनाएं एेसा नहीं कहती या कोर्इ फरमान नहीं निकालती ? क्या प्रदूषण केवल हिन्दुआें के त्यौहारों से ही होता है ? सरकार को लाखों पशुआें को काटकर बहनेवाले खून नहीं दिखता ? सरकार को मुस्लिमों से भी कहना चाहिए कि, आप भी ‘इको फ्रेंडली’ बकरी र्इद मनाए तथा इस अवसर पर इस्लाम में बताए गए सभी नियमों का पालन करे ।

३. सरकारी नियमों के अनुसार शासन मान्यताप्राप्त कसार्इखानों पर ही पशु हत्याएं की जानी चाहिए । पर आज बकरी र्इद के अवसर पर अस्थायी कसार्इखानों पर खुलेआम पशुआें की तथा गोवंशों की हत्याएं की जाती है । एेसे नियमों का उल्लंघन करनेवालों पर सरकार कभी कुछ कार्यवाही क्यों नहीं करती ?

४. गोरक्षक सदैव ही गोहत्या रोकने हेतु सरकार तथा प्रशासन की सहायता के लिए तत्पर होते है । पुलिस तथा प्रशासन को यह देखना चाहिए कि, बकरी र्इद के अवसर पर कहीं पर भी गोहत्या न हो । गोहत्या के कारण समाज में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है तथा सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए की इसका दायित्व सरकार का ही होगा ।

५. जिन जिहादी धर्मांधों के कारण समाज में तनाव फैलता है, उनपर सरकार तुरंत कडी से कडी कारवार्इ करनी चाहिए ।